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राहत की जगह राजनीति कर रहे हैं मुख्यमंत्री: मोदी

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दानापुर के बाढ़ राहत शिविरों के निरीक्षण के बाद कहा कि बाढ़ से मुकाबले के लिए सरकार की पूर्व से कोई तैयारी नहीं थी. अब जब बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की जरूरत है तो मुख्यमंत्री को राजनीति सूझ रही हैं. दस […]

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दानापुर के बाढ़ राहत शिविरों के निरीक्षण के बाद कहा कि बाढ़ से मुकाबले के लिए सरकार की पूर्व से कोई तैयारी नहीं थी. अब जब बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की जरूरत है तो मुख्यमंत्री को राजनीति सूझ रही हैं. दस वर्षों तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, स्वयं रेलमंत्री रहे तब उन्हें गाद प्रबंधन नीति और फरक्का बांध की याद क्यों नहीं आयी. नीतीश कुमार कोएक बार ममता बनर्जी से पूछ लेना चाहिए कि क्या वह फरक्का बांध तोड़ने के लिए तैयार हैं. मोदी ने कहा कि राजधानी के आस-पास के राहत शिविरों में जिस तरह से घोर अव्यवस्था है,उससे अन्य सुदूरवर्ती इलाकों का अंदाजा लगाया जा सकता है.
शिविरों में पीने के पानी, शौचालय और रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चो के लिए दूध का इंतजाम नहीं है. पीड़ितों को सुबह चूड़ा, गुड़ और सत्तू आदि नहीं देकर दोपहर बाद तैयार खाना दिया जा रहा है. मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था नहीं है.
सर्पदंश व अन्य आवश्यक दवाओं तथा चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं है. बाढ़ से पटना, वैशाली, भोजपुर और सारण के दियारा इलाके के प्रभावित लाखों लोगों के लिए राहत शिविरों में अविलम्ब समुचित व्यवस्था करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मनेर और दानापुर दियारा के पीड़ितों को सरकारी नाव से बाहर निकालने के लिए पैसों की वसूली पर रोक लगाई जाये. राहत शिविरों में रोशनी, सुरक्षा, खाद्य सामग्री व पीने के साफ पानी,बच्चों के लिए दूध व मवेशियों के लिए चारा के साथ ही आवश्यक दवाओं और डॉक्टर की व्यवस्था की जाये.
आलोचना के सिवा मोदी के पास कोई काम नहीं : संजय सिंह
जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की आलोचना के सिवा भाजपा नेता सुशील मोदी के पास कोई दूसरा काम नहीं है. पटना से लेकर पूरे बिहार में जहां-जहां बाढ़ पीड़ित हैं, वहां राहत का काम बेहतर तरीके से चलाया जा रहा है.
पता नहीं, सुशील मोदी किस आंख से राहत के काम को देखते हैं, जबकि सरकार के राहत कार्य से बाढ़ पीड़ित बहुत खुश हैं. उन्हें यह समझना होगा कि गंगा नदी में जमी गाद के लिए फरक्का डैम डिम्मेदार है. इस डैम को हटाये बिना गंगा में गाद की समस्या समाप्त नहीं हो सकती है. गंगा नदी सिल्टेशन के कारण छिछली हो गयी है.
जिस कारण से उसमें पानी आने पर उसके आसपास के इलाके में पानी का फैलाव होता है, लेकिन सुशील मोदी ने कसम खा ली है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बात को काटना है.
संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 सालों से केंद्र सरकार के सामने यह सवाल निरंतर उठा रहे हैं. गंगा नदी की गहराई घट रही है, जिस कारण से पानी आने पर उसका आसापास के इलाके में फैलाव हो जाता है. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से अपील किया है कि सिल्ट मैनेजमेंट के लिए नीति बनायी जाये, लेकिन केंद्र सरकार ने इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया है.
इसलिए केंद्र सरकार को एक बार खुद आकर पूरी स्थिति को देखना चाहिए, तो उन्हें सही कारण का पता लग जायेगा. इसके लिए केंद्र सरकार को सोचना चाहिए. सिल्ट डिपोजिट हटाने का एक मात्र रास्ता है, फरक्का डैम को हटाना. इसके अलावा कोई और रास्ता है तो केंद्र सरकार बताये और उस पर काम करे. गंगा नदी में सिल्ट जमा होने से रोकने का उपाय केंद्र सरकार निकाले नहीं हो आने वाले वर्षों में और भयावह स्थिति हो सकती है.

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