पटना: हाय रे बेटवा, हम मर गये, पेट बहुत पिरात है, कऊनो डॉक्टर भी न आवत है. यह दर्द भरी व्यथा है, पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में भरती 50 साल के एक पुरुष मरी जकी है. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि शनिवार को धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर रूठ गये और वह एक दिन की सामूहिक हड़ताल पर चले गये.
इससे सभी मरीज इलाज के अभाव में व्याकुल हो उठे. शनिवार को पीएमसीएच के टाटा वार्ड, हथुआ और राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक में भरती मरीजों को देखने वाला कोई नहीं था. मरीज डॉक्टर व प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे. पटना सहित पूरे बिहार में डॉक्टरों पर हो रहे हमले व रंगदारी के विरोध में आइएमए व भासा की ओर से बुलायी गयी इस हड़ताल का बुरा असर सरकारी व प्राइवेट दोनों अस्पतालों पर पड़ा. कई मरीजों की हालत गंभीर हो चुकी है.
शनिवार की सुबह पीएमसीएच में जैसे ही साढ़े आठ बजा और रोजाना की तरह गेट का ताला खुला. एक घंटा तक ओपीडी चला और 150 मरीज देखे गये. इसके बाद भासा व आइएमए के सदस्य आ पहुंचे और विरोध प्रदर्शन कर गेट में ताला लगवा दिया. ओपीडी पूरी तरह से बंद रहा. नतीजा 1938 मरीज बिना इलाज के ही पीएमसीएच से लौट गये. दूसरी ओर पीएमसीएच के अन्य वार्ड में भरती गंभीर मरीजों की हालत और अधिक खराब हो गयी, तो वहां के डॉक्टरों ने इमरजेंसी वार्ड में रेफर किया. ऐसे में अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड के सभी बेड फुल हो गये और मरीजों को जमीन पर लेटा कर स्लाइन व ब्लड चढ़ाया जा रहा है. रात आठ बजे के बाद स्थिति और अधिक खराब हो गयी. यहां तक कि जमीन पर भी जगह खाली नहीं रही. ऐसे में कई मरीज प्राइवेट अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के लिए रेफर किये गये.
जहानाबाद के हीरा लाल की किडनी खराब हो चुकी है. ब्लड की कमी के चलते उन्हें इमरजेंसी वार्ड में रेफर किया गया. ऐसे में हीरा लाल की हालत गंभीर बनी हुई है. इसी प्रकार, कमलेश प्रसाद को ब्रेन टीवी है. भाई ललन चौधरी ने बताया कि मेडिकल आइसीयू में भरती मरीज को ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए समय पर डॉक्टर नहीं आये और अंत में नर्स ने ही ऑक्सीजन चढ़ायी. इमरजेंसी में मरीज बढ़ने व डॉक्टरों की संख्या काफी कम रहने से वहां भरती मरीजों को भी परेशानी झेलनी पड़ी.