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सुरेंद्र व जोगिंदर बना रहे मसहरी
मिसाल : गुजरी बाजार में मुसलिमों के लिए जनाजे की मसहरी का निर्माण हिंदू कारीगर कर रहे हैं रामनरेश चौरसिया पटना : हिंदुओ के लिए अर्थी तो बढ़ई-कारीगर बनाते हैं, किंतु मुस्लिमों के जनाजे की मसहरियां भी हिंदू कारीगर ही बना रहे हैं. पटना सिटी के गुजरी बाजार में मुस्लिमों के लिए मसहरी का निर्माण […]
मिसाल : गुजरी बाजार में मुसलिमों के लिए जनाजे की मसहरी का निर्माण हिंदू कारीगर कर रहे हैं
रामनरेश चौरसिया
पटना : हिंदुओ के लिए अर्थी तो बढ़ई-कारीगर बनाते हैं, किंतु मुस्लिमों के जनाजे की मसहरियां भी हिंदू कारीगर ही बना रहे हैं. पटना सिटी के गुजरी बाजार में मुस्लिमों के लिए मसहरी का निर्माण अरसे से हिंदू कारीगर सुरेंद्र शर्मा और जोगिंदर रॉय बना रहे हैं. कारीगरों से मसहरी बनवाने की इंडस्ट्री चलाने वाले अकबर हुसैन का भी अजीब किस्सा है.
वे कभी नग और जौहरी का काम किया करते थें, जब उनका रोजगार फेल कर गया, तो उन्होंने मसहरी निर्माण का काम शुरू किया. मसहरी निर्माण का काम, जब उन्होंने 2001 से शुरू किया, तो उन्हें अपने मित्रों और समाज से काफी उलाहना सुनना पड़ा. लेकिन अकबर हुसैन ने लोगों की उलाहना सुनते हुए भी अपना मसहरी का लघु उद्योग खोले रखा. आज हाल यह है कि उन्हें उलाहना देने वाले भी उनके यहां जनाजे की मसहरियां बनवानाने पहुंच रहे हैं.
उनके बनायी जनाजे की मसहरियां सिर्फ पटना में ही नहीं, बल्कि नेपाल, पश्चिम बंगाल, यूपी और झारखंड तक लोग खरीद कर ले जाते हैं. पहले मुस्लिमों के जनाजे की मसहरी शीशम-सखुआ की लकड़ी से बनती थी. अकबर हुसैन ने इसका निर्माण अल्यूमुनियम और फाइवर से कराना शुरू किया. आकबर हुसैन सिर्फ ‘जनाजे की मसहरी’ ही नहीं बनावा रहें, बल्कि उन्होंने सिख और हिंदुओं के लिए छोटी-छोटी काठ की मंदिरों का भी निर्माण किया है. लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति नाथ पारस और भाजपा विधायक नंद किशोर यादव के लिए उन्होंने काठ की छोटे-छोटे आर्टिफिसियल मंदिरों का निर्माण भी किया है.
पटना के नया टोला में जब गुरुद्वारा का निर्माण हो रहा था, तब इन्होंने उसके फ्रंट की डिजायन भी तैयार की थी.
डिजायन तैयार करने में उन्हें छह माह लग गये थे. इसके अलावा उन्होंने गया के गुरारु के कोची गांव के नरसिंह अवतार वाले विष्णु मंदिर की रिपेयरिंग का भी काम किया है.
फ्रिज में रखने वाली मसहरी बनाने की है योजना
जनाजे की मसहरी की छोटी इंडस्ट्री चला रहे अकबर हुसैन की तमन्ना है कि वे फ्रिज में रखने वाली मसहरी बनाये. मृत्यु के बाद मुस्लिमों के रिश्तेदारों को दूर-दराज से आने में तीन-चार दिनों का वक्त लग जाता है. एेसे में जनाजे को तीन-चार दिनों तक किसी के इंतजार में रोके रख पाना संभव नहीं होता. अकसर लोग मृतकों के शव को सुपुर्दे-खाक कर देते है. बिहार-झारखंड और पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग दुबई में काम करते हैं. अपने लोगों के जनाजे को कंधा देने के लिए वे वक्त पर नहीं पहुंच पाते हैं.
इस दिक्कत से निजात दिलाने के लिए अकबर हुसैन ‘फ्रिज में रखी जाने वाली मशहरी’ बनाना चाहते हैं. इसके निर्माण को ले कर वे पिछले दो वर्षों से मंथन कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई लोगों से सलाह भी ली है. ‘फ्रिज में रखी जाने वाली मसहरी’ निर्माण की कार्य योजना उन्होंने बना ली है, अक्तूबर से वे इसका निर्माण करायेंगे. इसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है. बस इसके अलावा वे अमेरिका में मोहम्मद अली के लिए जैसा ताबूत बना है, वैसा ही ताबूत भी बनाना चाहते हैं.
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