पटना: ओपीडी में इलाज हो या इमरजेंसी में, अगर चिकित्सक जांच के लिए कहेंगे तो उसी समय परिसर में जांच हो जायेगी. इसके लिए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को एक माह के भीतर सेंट्रल लैब के रूप में विकसित किया जायेगा. संस्थान प्रशासन की ओर से इस दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि मरीजों की जांच कम कीमत में हो.
खासकर कमजोर व गरीब मरीजों को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है.जांच की समय सीमा तय होने के कारण मरीज बिचौलिये के चक्कर में पड़ कर बाहर चले जाते हैं, जहां न तो उनकी जांच ठीक से होती है और न ही रिपोर्ट समय पर मिलती है.
इस वजह से उनकी बीमारी भी बढ़ जाती है. इस जाल को तोड़ने के लिए संस्थान प्रशासन की ओर से निर्णय लिया गया है कि परिसर में 24 घंटे सभी जांच हो. जहां ओपीडी या इमरजेंसी के मरीजों का समय तय नहीं हो. सेंट्रल लैब को 24 घंटे चलाने के लिए चिकित्सकों व तकनीशियनों का शिफ्ट बदला जायेगा. सभी चिकित्सक आठ घंटे के अंतराल पर शिफ्ट को बदलेंगे. इसको लेकर चिकित्सकों व लैब में काम करने वाले कर्मियों की नियुक्ति होगी.