केरल में अपने संस्थान का पता देने के बजाये उसने बिहार का ही पता क्यों दिया, यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है. जबकि उसके माता-पिता कुछ सालों से अरब में रह रहे हैं और उसका खुद अरब आना-जाना लगा रहता था. ऐसे वह स्थायी रूप से केरल के कासरगोड़ में रह रही थी. यासमिन से केरल पुलिस शनिवार से पूछताछ करना शुरू करने वाली थी. इसके बाद ही कई बातें स्पष्ट रूप से सामने आयेंगी. जिस पीस इंटरनेशनल संस्थान में यासमिन काम करती थी, उसके 19 युवक जब अचानक गायब हो गये और इस बात की सूचना मिली कि युवाओं के इस जत्थे ने आइएस ज्वाइन कर लिया है. इसी जत्थे में आइएस का मुख्य मॉड्यूल अब्दुल रशीद भी था, जो केरल पुलिस के हाथ से बचकर काबूल भाग निकला था. इसके बाद से ही केरल पुलिस यासमिन के पीछे लगी हुई थी.
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मां के नाम पर लूक आउट नोटिस जारी, बेटे का बनाया पासपोर्ट
पटना: केरल से आइएस (इस्लामिक स्टेट) में शामिल होने के लिए काबूल जा रही बिहार मूल की यासमिन मोहम्मद पर लूक आउट नोटिस (एलओएन) जून में ही केरल पुलिस ने जारी कर दिया था. वाबजूद इसके बिहार से उसके पांच साल के बेटे के नाम पर पासपोर्ट बन गया. इस मामले में आइबी की जांच […]
पटना: केरल से आइएस (इस्लामिक स्टेट) में शामिल होने के लिए काबूल जा रही बिहार मूल की यासमिन मोहम्मद पर लूक आउट नोटिस (एलओएन) जून में ही केरल पुलिस ने जारी कर दिया था. वाबजूद इसके बिहार से उसके पांच साल के बेटे के नाम पर पासपोर्ट बन गया. इस मामले में आइबी की जांच में यह बात सामने आयी है. यहां सबसे बड़ा सवाल है कि जिला पुलिस ने बिना उचित छानबीन किये ही उसका पासपोर्ट वेरीफिकेशन कैसे कर दिया. क्या जिला पुलिस को लूक आउट नोटिस की जानकारी नहीं थी. अगर नहीं थी, तो यह भी बड़ी लापरवाही मानी जायेगी.
जबकि किसी राज्य से लूक आउट नोटिस जारी होने के बाद इसकी सूचना सभी राज्यों के गृह विभाग को दी जाती है. इस मामले में ऐसे बिहार पुलिस के उच्च अधिकारियों का कहना है कि तमाम मामलों की जांच करने के लिए सीतामढ़ी एसपी और एटीएस की संयुक्त टीम बना दी गयी है. जल्द ही पूरे मामले की जांच की जायेगी.
इस वर्ष जुलाई में ईद के मौके पर वह सीतामढ़ी के बाजपट्टी थाना क्षेत्र स्थित अपने गांव मोरौल आयी हुई थी. कई सालों बाद उसके गांव आने का मुख्य कारण अपने बेटे का पासपोर्ट प्राप्त करना ही था. प्राप्त सूचना के अनुसार, उसके पासपोर्ट बनवाने में किसी स्थानीय व्यक्ति ने उसकी मदद भी की थी. हालांकि अभी तक उस व्यक्ति या एजेंट की पहचान नहीं हो सकी है. पासपोर्ट बनवाने का आवेदन उसने ऑनलाइन ही किया था. इससे पहले वह बिहार कई साल पहले ही आयी थी.
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