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फसल बीमा योजना लागू करने को सरकार तैयार

पटना : विधान परिषद में सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिए सरकार कृत संकल्पित है. उन्होंने कहा कि योजना के तहत केंद्र सरकार निर्धारित की गई बीमा कंपनियों द्वारा दी जा रही प्रीमियम की दरें तार्किक करे. केंद्र प्रीमियम के केंद्रांश के हिस्से की […]

पटना : विधान परिषद में सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिए सरकार कृत संकल्पित है. उन्होंने कहा कि योजना के तहत केंद्र सरकार निर्धारित की गई बीमा कंपनियों द्वारा दी जा रही प्रीमियम की दरें तार्किक करे.
केंद्र प्रीमियम के केंद्रांश के हिस्से की राशि में बढ़ोतरी करे. सदन में विपक्ष ने सरकार पर किसानों के साथ अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए सरकार के वक्तव्य का बहिष्कार किया. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने की स्वीकृति कैबिनेट से मिल गयी है. प्रीमियम राशि में कुल बीमित राशि का दो फीसदी अंशदान किसानों को देना होता है. शेष प्रीमियम राज्य व केंद्र के बीच 50-50 फीसदी होता है.
प्रीमियम राज्य सरकार के स्तर से बीमा कंपनी को भुगतेय होगी व क्षतिपूर्ति का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा होगा. फसल बीमा योजना लागू करने के लिए निकाले गये टेंडर में छह बीमा कंपनियों ने भाग लिया.
बीडिंग में राज्य का औसत न्यूनतम 14़ 92 फीसदी प्राप्त हुआ है. मंत्री ने कहा कि बिहार के बगल पड़ोसी राज्यों में पश्चिम बंगाल 3़ 25, यूपी 4़ 09, छतीसगढ़ 4, मध्यप्रदेश 9.55 व झारखंड में प्रीमियम दर 13़ 82 फीसदी है.
एग्रीकल्चर इंश्योरेन्स कंपनी ऑफ इंडिया लिं यूपी में प्रीमियम दर चार फीसदी रखी है. बिहार में पहले कलस्टर के लिए 18़ 56, दूसरे 11़ 97, तीसरे 27़ 42, चौथे 18़ 89, पांचवें 10.37 व छठे कलस्टर के लिए 18़ 38 फीसदी प्रीमियम दर दिया गया है. अधिक व अतार्किक है.
मंत्री ने कहा कि खरीफ मौसम में फसल बीमा योजना में राज्यांश 196़ 22 करोड़ वित्तीय देयता रही है. विगत खरीफ मौसम में किसानों को भुगतेय अधिकतम क्षतिपूर्ति राशि 685 करोड़ भुगतान हुआ है1 वर्तमान मौसम में कुल प्रीमियम 1500 करोड़ हो रहा है. इससे बीमा कंपनियों को अधिक लाभ होना संभावित है.
अंतर्राज्य परिषद में उठा था मामला
मंत्री ने कहा कि इन तथ्यों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 जुलाई को अंतर्राज्य परिषद की बैठक में मामले को उठाये थे. इसमें केंद्र सरकार से बीमा कंपनियों द्वारा विभिन्न राज्यों में दिये गये प्रीमियम दरों में एकरूपता रखने की बात कही थी.
अधिक प्रीमियम को लेकर राज्य व केंद्र का हिस्सा 10 व 80 फीसदी रखा जाना चाहिए. इन कारणों को लेकर राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि खरीफ 2016 मौसम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करना संभव नहीं होगी. केंद्र से सकारात्मक पहल नहीं होने से केंद्रीय कृषि मंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए उच्चस्तरीय बैठक कराने का आग्रह किया है.
मंत्री ने कहा कि किसानों का हित सर्वोपरि है. सरकार अपने संसाधनों से ऐसे सभी कदम उठा रही जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रह सके. प्रीमियम की दर अधिक होने से राज्य पर वित्तीय बोझ अधिक बढ़ेगा. सदन में नेता प्रतिपक्ष के विरोध पर मंत्री ने कहा कि केंद्र को लाभ पहुंचाने के लिए अधिक प्रीमियम रखा गया है.

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