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महंगा पटवन बना किसानों की मजबूरी

खाद-बीज की आफत के बाद बंद नलकूपों ने बढ़ायी मुसीबत, बीते एक दशक से नलकूप शोभा की वस्तु बनी है मसौढ़ी : अनुमंडल के तीनों प्रखंड़ों मसौढ़ी ,धनरूआ व पुनपुन के विभिन्न क्षेत्रों में इन दिनों धान बुआई का कार्य चरम पर है . धान बुआई के पूर्व किसानों को जहां खाद व प्रमाणित बीजों […]

खाद-बीज की आफत के बाद बंद नलकूपों ने बढ़ायी मुसीबत, बीते एक दशक से नलकूप शोभा की वस्तु बनी है
मसौढ़ी : अनुमंडल के तीनों प्रखंड़ों मसौढ़ी ,धनरूआ व पुनपुन के विभिन्न क्षेत्रों में इन दिनों धान बुआई का कार्य चरम पर है . धान बुआई के पूर्व किसानों को जहां खाद व प्रमाणित बीजों की खरीदारी महंगी दरों पर करनी उनकी मजबूरी बन गयी थी ,अब उनके सामने माॅनसून अच्छा नहीं होने की वजह से धान का पटवन करना उनके सामने गंभीर समस्या बनी हुई है.
इधर, किसानों की इस गंभीर समस्या के प्रति न तो किसी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं गया है तभी तो अनुमंडल के तीनों प्रखंडों में स्थापित नलकूप केवल शोभा की वस्तु बन कर रह गये हैं.
अनुमंडल में राजकीय नलकूपों की संख्या तकरीबन सौ के आसपास होगी ,जो बीते एक दशक से अधिक समय से ठप है. इस कारण एक बार फिर महंगी दर पर निजी पंपिंग सेट से खेत की सिंचाई करने को विवश किसानों की परेशानी साफ देखी जा रही है. नलकूपों की स्थिति यह है कि कहीं नलकूप के भवन खंडहर नजर आते हैं, तो कहीं आॅपरेटर नहीं हैं.
आॅपरेटर जहां है वहां पंप व ट्रांसफाॅर्मर खराब पड़े हुए हैं. वहीं, नलकूपों के संचालित रहने के समय नियमित रूप से रहनेवाले पंप चालक का अता- पता दूर- दूर तक नहीं है. कहने को तो अनुमंडल मुख्यालय में नलकूप का कार्यालय स्थानीय जतीचक के पास है जरूर, लेकिन खुलता नहीं, जिससे किसान वहां जाकर नलकूप के बारे में कोई जानकारी हासिल कर सकें. आसपास के लोगों की मानें, तो नलकूप का कार्यालय केवल 15 अगस्त व 26 जनवरी को मात्र खुलता है.हालांकि इसकी भी जानकारी बहुत कम ही लोगों को हो पाती है.
क्या कहना है किसानों का
मसौढ़ी के नहवां निवासी संजय कुमार ,सुधांशु सिंह ,गोपाल कुमार ,कंसारा के विनय कुमार, धनरूआ के धर्मवीर प्रसाद व युगेश्वर प्रसाद समेत अन्य लोगों ने कहा कि सरकारी नलकूपों के बंद पड़े रहने के कारण किसान डीजल व पेट्रोल चालित निजी पंप सेट से फसल की पटवन 120 से 150 रुपये प्रति घंटा की दर से अपने फसल की सिंचाई करने को विवश हैं. इतना ही नहीं किसानों को अभी भू-जल का स्तर नीचे चले जाने से परेशानी दोगुनी हो गयी है़
उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारी व स्थानीय विधायक व सांसद से किसानों के हित में राजकीय नलकूपों को चालू कराने की मांग की है.
नलकूप का आंकड़ा इकट्ठा िकया जा रहा है
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी राजीव कुमार को पता नहीं है कि अनुमंडल में कुल कितने नलकूप हैं, उनमें कितने सही हालत में हैं और कितने खराब. पूछने पर उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी इकट्ठा कर बता देंगे.
एसडीओ ने िदया िनर्देश
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया गया है कि नलकूपों की वास्तविक स्थिति से कार्यालय को अविलंब अवगत कराएं. एसडीओ ने सिंचाई की समस्या को गंभीर बताया. हालांकि, उन्होंने किसानों के लिए डीजल अनुदान पर्याप्त मात्रा में आने की बात कही.
आनंद शर्मा, एसडीओ, मसौढ़ी

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