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तीखी बहस तो कभी सदन में छूटे हंसी के फव्वारे
पटना : शराबबंदी को लेकर नये विधेयक को लेकर सोमवार को विधानसभा में दोपहर बाद अचानक गरमी बढ गयी. विधानसभा में नया उत्पाद विधेयक पारित तो हो गया पर कुछ संशोधनों को लेकर विपक्ष के अड़े रहने से पिछली बार की तरह सर्वसम्मत से निर्णय नहीं हो पाया. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि […]
पटना : शराबबंदी को लेकर नये विधेयक को लेकर सोमवार को विधानसभा में दोपहर बाद अचानक गरमी बढ गयी. विधानसभा में नया उत्पाद विधेयक पारित तो हो गया पर कुछ संशोधनों को लेकर विपक्ष के अड़े रहने से पिछली बार की तरह सर्वसम्मत से निर्णय नहीं हो पाया. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सदन में जितने सदस्य मौजूद हैं, सबने अपना समर्थन दिया इस तरह विधेयक सर्व सम्मति से पारित हुआ है.
लेकिन, जैसे मुख्यमंत्री ने अपनी बात रखनी शुरू की, विपक्ष के सदस्य सदन से वाक आउट कर गये. तीन घंटे चालीस मिनट तक उत्पाद विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान सदन में तीखी बहस हुई, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद विपक्ष की ओर से उठाये गये सवालों का बिंदुवार जवाब दिया. विपक्ष के सदस्य नंदकिशोर यादव जब उन पर हमलावर थे तो खुद मुख्यमंत्री ने उनकी बातों का कड़ा प्रतिवाद भी किया.
दूसरी ओर विपक्ष ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने और शराब पीने वालों के बालिग परिजनों की गिरफ्तारी से रोकने के प्रावधानों को हटाने पर अंत तक अडिग रहा. सोमवार को सदन का रूख दोपहर बाद से ही कुछ अलग दिख रहा था. सरकार की ओर से मुकम्मल तैयारी थी. अधिकारी दीर्घा में उत्पाद आयुक्त केके पाठक पूरी फाइल और कानून की मोटी किताबों के साथ बैठे थे.
दो बज कर पचपन मिनट पर जैसे ही आसन पर बैठे विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2016 पेश करने के लिए उत्पाद मंत्री अब्दुल जलील मस्तान को कहा, विपक्ष की ओर से काला कानून-काला कानून की आवाजें आने लगी. मंत्री ने प्रस्ताव सदन में रखा, इस समय ट्रेजरी बेंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी व संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार बैठे थे. इस दौरान सदन में नारे लगे, चिरौरी भी हुई और हंसी के फव्वारे भी छूटे.
नये उत्पाद कानून को लेकर सदन में सत्ता पक्ष ने विधेयक पारित होने का मेज थपथपा कर स्वागत किया. वहीं, विपक्ष के सदस्यों ने काला कानून के नारे लगाये. उत्पाद विधेयक पर चली बहस के दौरान पूरा सदन मौजूद नहीं रहा. 243 सदस्यीय सदन में 202 सदस्य उपस्थित हुए. मतदान की नौबत आयी तो महागंठबंधन के 178 सदस्यों में 153 ही सदन में मौजूद रहे.
जबकि, एनडीए के 58 सदस्यों में 46 सदस्य ही सदन में वोट के समय उपस्थित थे. भाकपा माले के दो सदस्य सदन में अंत तक रहे.
माले रहा तटस्थ संशोधनों को लेकर जब नौबत मतदान की आयी तो सदन में मौजूद भाकपा माले के सदस्यों ने न तो जहां पक्ष का साथ दिया और न ही ना पक्ष में खड़े हुए. पहली बार वोटिंग में जब विपक्ष को मात्र 46 सदस्यों का समर्थन मिला और सत्ताधारी दल को 150 का तो हां पक्ष की ओर से सदन में जोर से शेम-शेम की आवाज गूंजी.
करीब साढे तीन घंटे तक चली बहस में पहले भाजपा सदस्य नंदकिशोर यादव ने सरकार पर हमला बोला. उन्होंने नाम लिये बिना सत्ताधारी सदस्यों पर चुटकी भी ली. उनका कहना था कि शराब लत है, आदत है. कुछ लोगों को खैनी की लत है. ललन सिंह जी को पान की लत है, नहीं छूट रही.
कुछ लोगों को और भी कइ चीजों की लत है. लेकिन, यह डंडे की चोट पर नहीं छूटेगी. इतने में स्पीकर ने चुटकी लेते हुए कहा, आज वाला लत है कि नहीं . नंदकिशोर बोले- इलायची का है, वह भी नहीं छूट रहा. बात आगे बढी, संशोधन प्रस्ताव देने वाले सदस्यों का नाम पुकारा जाता रहा. संजय सरावगी ने स्पीकर से नारियल को प्रतिबंध की श्रेणी से बाहर रखने की चिरौरी की. उनका कहना था हम, खुद नारियल पानी पीते हैं, इसे छूट दीजिये. नंदकिशोर यादव का इशारा मुख्यमंत्री की ओर थ कि वह भी नारियल पानी पीतेहैं.
पर, सरावगी का यह संशोधन भी अस्वीकृत हो गया. भाजपा के मिथिलेश तिवारी का तर्क था कि सावन का महीना है और भगवान शिव पर महिलायें भांग भी चढाती है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा हम लोगों को तो मालूम है कि भगवान शिव पर बेलपत्र चढाया जाता है. रालोसपा के ललन पासवान का अनोखा तर्क था. उन्होंने कहा कि यदि इस सदन परिसर में शराब की बोतल कोई लाकर रख दे तो अध्यक्ष और सचिव को भी जेल जाना पड़ जायेगा.
इस पर स्पीकर ने कहा कि बोतल आप ही लाइयेगा. सदन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का तर्क था कि सेव, ईख, अंगूर, नारियल और चावल को भी प्रतिबंध लगा देनी चाहिये. उनके निशाने पर भी मुख्यमंत्री ही थे. उनका कहना था कि दूसरे राज्यों में शराबबंदी की बात कही जा रही है जबकि, राज्य में शराब की 14 फैक्ट्रियां चल रही है.
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