पटना : स्कूल से शिकायत हो या शिक्षक से छात्र प्रताड़ित हो. बिना किसी वजह के छात्र को स्कूल से निकाल दिया हो या शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल नामांकन नहीं ले रहा हो. एेसी तमाम समस्याओं से जूझ रहे अभिभावक बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास पहुंच रहे हैं. लेकिन, इनकी समस्याओं को न तो सुननेवाला है और न ही उसका निदान करने वाला कोई है. मई से जुलाई तक आयोग के पास 300 ऐसे केस पेंडिंग हैं,
जिन्हें अब तक खोला भी नहीं गया है. अभिभावक यहां आते तो हैं अध्यक्ष से मिलने, लेकिन अपना आवेदन गार्ड को देकर चले जाते हैं. मई के दूसरे सप्ताह में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के भंग होने के बाद से केवल तीन कर्मी ही आयोग का काम संभाल रहे हैं. पहले अायोग में अध्यक्ष निशा झा के अलावा छह सदस्य और भी थे. अब अभिभावकों की परेशानी सुननेवाला कोई नहीं है. इसलिए वे अब नहीं आते हैं.