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2009 में शुरू हुआ निर्माण कार्य 2011 तक करना था पूरा

बिहटा में इएसआइसी का अस्पताल समय सीमा के तीन साल बाद भी नहीं हुआ शुरू, तीन साल का प्रोजेक्ट सात साल के बाद भी नहीं हुआ पूरा बिहटा : बिहटा में बन रहे अत्याधुनिक इएसआइसी अस्पताल का निर्माण कार्य में लगी एनबीसीसी,सह सहायक कांटेक्टर प्रतिभा कंस्ट्रक्शन और इएसआइसी के अधिकारी की उदासीनता के कारण निर्धारित […]

बिहटा में इएसआइसी का अस्पताल समय सीमा के तीन साल बाद भी नहीं हुआ शुरू, तीन साल का प्रोजेक्ट सात साल के बाद भी नहीं हुआ पूरा
बिहटा : बिहटा में बन रहे अत्याधुनिक इएसआइसी अस्पताल का निर्माण कार्य में लगी एनबीसीसी,सह सहायक कांटेक्टर प्रतिभा कंस्ट्रक्शन और इएसआइसी के अधिकारी की उदासीनता के कारण निर्धारित समय सीमा के तीन साल की जगह सात साल बीतने के बाद भी अधर में लटका है. वहीं अस्पताल की निर्माण कार्य में देरी होने के कारण दिन पर दिन इसकी लागत 120 करोड़ से भी ज्यादा बढ़ गयी है.
उक्त अस्पताल की निर्माण के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से बीते छह साल पूर्व मेगा औधोगिक पार्क योजना के तहत करीब 25 एकड़ भूमि मुहैया करायी गयी थी. वहीं केंद्रीय मंत्री मल्लिकाअर्जुन खरगे, लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार व नीतीश कुमार के संयुक्त तत्वावधान में 25 सितंबर 2009 को राष्ट्रीय उच्च पथ 30 पर बिहटा के सिकंदरपुर के समीप इस अस्पताल की आधार शीला रखी गयी थी. 500 बेड की इस अस्पताल की लागत करीब 637 करोड़ रुपये थी और निर्माण कार्य तीन सालों मे पूरा किया जाना था. लेकिन आज सात साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है.
करीब 20 लाख लोगों को होगी सुविधा : बिहटा में नियोजित श्रमिक परिवारों का इलाज शुरू हुआ तो मरीजों की सारी सुविधा मिलने वाली बिहटा का एक मात्र अस्पताल होगा. राज्य में एक अनुमान के अनुसार नियोजित श्रमिक परिवार की संख्या करीब 20 लाख है, जिनका इलाज इस अस्पताल में होना था. लेकिन आज भी इनका इलाज एक मात्र 50 बेड वाला मॉडल अस्पताल फुलवारीशरीफ में हो रहा है. जहां असाध्य बीमारियों की जांच के लिए विभाग खर्च तो जरूर देती है, लेकिन मरीज को जांच के लिए दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है.
जून 2013 में केंद्रीय मंत्री ने लिया था जायजा
समय से निर्माण कार्य पूरा नहीं होने व अधिकारियों की उदासीनता के मद्देनजर जून 2013 में केंद्रीय मंत्री ने यहां दौरा कर निर्माण कार्य का जायजा लिया था. वहीं कार्य में देरी होने पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए दो माह के भीतर तत्काल व्यवस्था के तहत करीब 100 बेड का अस्पताल शुरू करने के लिए आदेश दिया था, लेकिन मंत्री के आदेश को भी निर्माण कार्य में लगी एनबीसीसी, सह सहायक कांट्रेक्टर प्रतिभा कंस्ट्रक्शन और इएसआइसी के अधिकारी पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
वहीं करीब 133 बेड का अस्पताल का भवन बनकर तैयार हो गया, लेकिन भवन की अंदर की व्यवस्था को लेकर अफसर बेहद लाचार व्यवस्था अपनाये हुए है. मेडिकल समान की खरीदारी नहीं हुई है. बिजली कनेक्शन, गैस पाइप, पारा मेडिकल, किचेन के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं है.
जल्द काम पूरा नहीं हुआ तो होगा आंदोलन : कर्मचारी संगठन इंटक के पटना प्रमंडल के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार का कहना है कि यह मामला काफी गंभीर है.
वर्ष 13 के जून में ही केंद्रीय मंत्री अस्पताल को चालू करने का निर्देश दिया था, लेकिन विभाग के अधिकारी व निर्माण कार्य में लगी कंपनी की लापरवाही से यह स्थिति बनी हुई है. अगर जल्द अस्पताल को चालू नहीं किया गया तो इंटक आंदोलन करेगा.
वहीं इएसआइसी व एनबीसीसी के अधिकारियों से बातें करने की कोशिश की गयी तो वे कुछ भी बोलने से कतराते नजर आ रहे है.

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