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चुनाव उत्तर प्रदेश में, बिहार में भी मची हलचल

मायावती व गुजरात प्रकरण : बयान पर गरमायी राजनीति पटना : दलित व महादलित में पैठ बढ़ा रही बिहार भाजपा को गुजरात व मायावती प्रकरण से धीरे से ही, लेकिन जोर का झटका लगा है. प्रदेश भाजपा के लिए राहत की बात यही है कि अभी किसी तरह का चुनाव का सामना उसे नहीं करना […]

मायावती व गुजरात प्रकरण : बयान पर गरमायी राजनीति
पटना : दलित व महादलित में पैठ बढ़ा रही बिहार भाजपा को गुजरात व मायावती प्रकरण से धीरे से ही, लेकिन जोर का झटका लगा है. प्रदेश भाजपा के लिए राहत की बात यही है कि अभी किसी तरह का चुनाव का सामना उसे नहीं करना है, लेकिन यूपी चुनाव तो अगले साल होना है. ऐसे में भाजपा नेता भी दबी जुबान से यह स्वीकारते हैं कि इससे पार्टी को नुकसान हुआ है. पार्टी अनुशासन के चलते कोई खुल कर कुछ नहीं बोल रहे हैं. पार्टी के बड़े नेता कहते हैं भाषा हमेशा मर्यादित होनी चाहिए.
बिहार में भाजपा के 53 में से पांच विधायक दलित व महादलित से आते हैं, जबकि 22 लोकसभा सांसदों में से इनकी संख्या तीन हैं. भाजपा का लोजपा व हम से भी गंठबंधन है. दोनों दलों का आधार वोट दलित और महादलित समुदाय से आता है. पार्टी के दो सांसद सासाराम से छेदी पासवान और गोपालगंज के जनक चमार यूपी के सीमावर्ती क्षेत्र से आते हैं.
गोपालगंज के सांसद तो मायावती के स्वजातीय हैं. मायावती और गुजरात प्रकरण को लेकर विपक्षी भाजपा पर पिले हुए हैं. सहयोगी लोजपा ने तो सधी हुई प्रतिक्रिया दी है, लेकिन हम के सर्वेसर्वा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आंख तरेरी है.
नीतीश कुमार से गंठबंधन टूटने के बाद से ही भाजपा दलितों में पैठ बढ़ानी शुरू कर दी थी. लोस चुनाव के समय रामविलास पासवान तो विधानसभा चुनाव के समय मांझी के साथ गंठबंधन किया. विस चुनाव में इस तबके को पर्याप्त टिकट भी दिया. दलित व महादलित समाज में पैठ बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यक्रम करती रहती है, लेकिन गुजरात में दलित उत्पीड़न और मायावती प्रकरण के बाद विपक्ष जिस तरह हमलावर हुआ है, उससे भाजपा तो झटका लगा है. विस चुनाव के समय संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी बयान से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा.
भाजपा विधायक रामप्रीत पासवान कहते हैं कि मायावती पर टिप्पणी करनेवाले पर प्राथमिकी होनी चाहिए. हालांकि भाजपा के अधिकतर नेता इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे.

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