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पीएमसीएच में लगेगी नयी कोबाल्ट मशीन
कैंसर के मरीजों की हो सकेगी सेंकाई, तीन साल से बंद थी सेवा रविशंकर उपाध्याय पटना : पीएमसीएच में कैंसर रोगियों की तीन साल से बंद पड़ी सेंकाई अब जल्द ही शुरू होगी. इसके लिए अस्पताल में नयी कोबाल्ट मशीन लगेगी. करीब दो करोड़ रुपये की लागत वाली कैंसर मरीजों की सेंकाई में प्रयोग आने […]
कैंसर के मरीजों की हो सकेगी सेंकाई, तीन साल से बंद थी सेवा
रविशंकर उपाध्याय
पटना : पीएमसीएच में कैंसर रोगियों की तीन साल से बंद पड़ी सेंकाई अब जल्द ही शुरू होगी. इसके लिए अस्पताल में नयी कोबाल्ट मशीन लगेगी. करीब दो करोड़ रुपये की लागत वाली कैंसर मरीजों की सेंकाई में प्रयोग आने वाली यह मशीन पीएमसीएच में लगायी जायेगी.
तीन साल से जो कोबाल्ट मशीन खराब पड़ी हुई है, उस मशीन को हटाने की अनुमति एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड और भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर ने दे दी है. इसी सप्ताह में कोबाल्ट मशीन चली जायेगी. नयी मशीन दो महीने के अंदर आ जायेगी और उसके बाद कैंसर रोगियों को इस सुविधा के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ेगा.
अभी जो मशीन अस्पताल में यूं ही पड़ी हुयी है, उसे भाभा एटाेमिक रिसर्च सेंटर ही डिकंपोज करेगी. बहुत दिनों तक पूरा मामला इसी विवाद में उलझा हुआ था कि इसे ले जाया कैसे जाये.
अब कैंसर विभाग ने अस्पताल प्रशासन से इस विवाद के समाधान के लिए राशि प्रदान करने की अपील की है, जिसके बाद अस्पताल अधीक्षक ने रोगी कल्याण समिति से 25 हजार रुपये की राशि कैंसर विभाग को दी है. अब इस राशि से भाभा सेंटर इस मशीन को ले जायेगी अौर समुद्र में डिकंपोज कर देगी. पीएमसीएच में यह सुविधा मरीजों को मुफ्त में मिलती थी. मशीन बंद होने से मुफ्त में सेंकाई के लिए मरीज को रांची या फिर कोलकाता भेजा जाता था. मशीन लंबे समय से बंद पड़े रहने से रेडियोएक्टिव आउटपुट 44 फीसदी पर गया था, जबकि 100 फीसदी रेडियोएक्टिव सोर्स की जरूरत होती है. एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड की गाइडलाइन है कि 50 फीसदी से कम रेडियोएक्टिव सोर्स होने पर मशीन चलाने की अनुमति नहीं मिलती है.
पटना. आइजीआइएमएस अस्पताल के चूहे अब कैंसर मरीजों की जिंदगी पर भारी नहीं पड़ेंगे. कोबाल्ट मशीन की मरम्मत करा दी गयी है, जिसे चूहों ने अपना शिकार बनाया था. प्रभात खबर ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और सोमवार को इस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
इसके बाद अस्पताल हरकत में आया और मशीन की मरम्मत करायी गयी. इसके बाद सोमवार को 78 मरीजों की सेंकाई की गयी. कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार सुबह में इंजीनियर आ गया और उसने वायर को दुरुस्त किया. मालूम हो कि चूहों ने अपना शिकार कैंसर की सेंकाई में उपयोग होनेवाली कोबॉल्ट मशीन को बनाया था, इसके बाद मशीन खराब हो गयी थी और कैंसर मरीजों की थैरेपी बंद करना पड़ी थी. सेंकाई नहीं होने से दो मरीजों की हालत गंभीर हो गयी थी और वे काफी परेशान थे.
मशीन से रेडिएशन थैरेपी के लिए हर मरीज को चार हजार रुपया जमा करना पड़ता है. रुपया जमा करने के बाद भी सुविधा के नाम पर मशीन बंद थी और इसके ठीक कराने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा था. कोबाल्ट मशीन से रोजाना 80 से 100 मरीजों को सेंकाई दीजायेगी.
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