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स्वयं को अवलोकन करने का नाम गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा महोत्सव की हुई शुरुआत पटना : गुरु पूर्णिमा केवल गुरु के आगे थाली घुमाने का नाम नहीं है. बल्कि, स्वयं का अवलोकन करने का भी है. अवलोकन यह कि क्या हम सच्चे शिष्य बन पाए? क्या श्रेष्ठ गुणों को धारण कर पाए? दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के बैनर तले आचार्य आशुतोष महाराज की […]
गुरु पूर्णिमा महोत्सव की हुई शुरुआत
पटना : गुरु पूर्णिमा केवल गुरु के आगे थाली घुमाने का नाम नहीं है. बल्कि, स्वयं का अवलोकन करने का भी है. अवलोकन यह कि क्या हम सच्चे शिष्य बन पाए? क्या श्रेष्ठ गुणों को धारण कर पाए? दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के बैनर तले आचार्य आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अदिति भारती जी दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर यही सवाल पूछे? उन्होंने कहा कि गुरु के सानिध्य में ही श्रेष्ठ शिष्यों का निर्माण हुआ है. आज भी इतिहास उन्हें याद करता है. अब योगानंद परमहंस, स्वामी विवेकानंद, मीराबाई जैसे श्रेष्ठ शिष्यों की कतार को याद कर लीजिए. इस आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हुए मंजिल पायी जा सकती है. जीवन की विकट से विकट परिस्थितियों में भी चलते रहने के लिए श्रेष्ठ पथ चाहे वो अग्निपथ क्यों नहीं हो.
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