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टीएन ने चलाया था केस, चैतन्य प्रसाद ने सुनाया था फैसला

पटना : बंदर बगीचा के संतोषा अपार्टमेंट को बिल्डर एसके बंसल की कंपनी साकेत कंस्ट्रक्शन ने तैयार किया है. इस अपार्टमेंट के द्वारा किये गये बिल्डिंग बाइलॉज में विचलन खिलाफ पहली बार तत्कालीन पीआरडीए उपाध्यक्ष टीएन लाल दास ने वर्ष 1999 में निगरानीवाद दर्ज कराया था. इस निगरानीवाद पर वर्ष 2001 में तत्कालीन पीआरडीए उपाध्यक्ष […]

पटना : बंदर बगीचा के संतोषा अपार्टमेंट को बिल्डर एसके बंसल की कंपनी साकेत कंस्ट्रक्शन ने तैयार किया है. इस अपार्टमेंट के द्वारा किये गये बिल्डिंग बाइलॉज में विचलन खिलाफ पहली बार तत्कालीन पीआरडीए उपाध्यक्ष टीएन लाल दास ने वर्ष 1999 में निगरानीवाद दर्ज कराया था.
इस निगरानीवाद पर वर्ष 2001 में तत्कालीन पीआरडीए उपाध्यक्ष व वर्तमानमें नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव चैतन्य प्रसाद ने फैसला सुनाया था. चैतन्य प्रसाद ने संतोषा अपार्टमेंट के तीन ऊपरी फ्लोर तोड़ने का आदेश दिया था, जिसके पहले ट्रिब्यूनल, फिर हाइकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. लोगों को सात हजार वर्ग फीट के अनुसार मुआवजा मिलना है. ऊपरी तीन तल्लों के 21 फ्लैट के लोगों को मकान खाली करना और मुआवजा लेना है. निगम शुक्रवार के कार्रवाई की रिपोर्ट भेजेगा.
संतोषा के लोगों ने चार जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में आइये यानी एप्लिकेशन फार एप्रोप्रियेट डाइरेक्शन के लिये गये हुये है. हालांकि जिन लोगों ने मुआवजा के लिए कोर्ट में अपील की है उनमें से कुछ लोगों के नाम गलत होने की सूचना मिली है. इसे भी लोगों को सुधरवाना होगा. निगम आने वाले दिनों मेें किसी भी अवैध निर्माण पर सख्ती से निपटेगा. हमलोगोें ने जीरो टाॅलरेंस की नीति अपनायी है.

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