पटना : यहां पढ़ाई करनी हैं, तो मेरी बात माननी होगी, नहीं तो फेल कर दूंगा. कुछ इसी तरह सेबिहारमें राजधानी पटना के जाने-माने डेंटल कॉलेज में पढ़ाई करनेवाली छात्राओं को हिदायत दी जाती है. ये हिदायत उन्हें बेहतर छात्र बनाने के लिए नहीं, बल्कि यौनशोषण का विरोध करने पर दिया जाता है. महिला हेल्पलाइन में दर्ज मामले में बेली रोड स्थित डेंटल कॉलेज में पढ़ाई करनेवाली छात्रा ने यौनशोषण का केस दर्ज कराया है.
जिसमें लिखा है कि वह डेंटल कॉलेज की छात्रा है. कॉलेज के चेयरमैन की ओर से यौनशोषण किया जा रहा है. उनकी बात नहीं मानने पर वे फेल कर देते हैं. वे ऐसी परिस्थिति उत्पन्न कर देते हैं, जिससे हमें उनके पास जाना पड़ता हैं. जब मैंने इसकी जानकारी अपने साथियों को दी, तो पूरे कॉलेज की ओर से इसका विरोध करते हुए मामला दर्ज कराया गया.
प्रावधान के बावजूद नहीं रुक रही हिंसा
विशाखा गाइड लाइन के तहत कार्य स्थलों में यौनशोषण को लेकर सेक्सुअल हरासमेंट सेल बनाया जाना है. ताकि, कार्यालयों व शैक्षणिक संस्थाओं में होनेवाले हिंसा को समाप्त किया जा सकें. बावजूद इसके कुछ कार्यालयों में कमेटी तो बनायी गयी है. लेकिन, मॉनीटरिंग के अभाव में महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पा रही हैं. सचिवालय के कुछ विभागों में यह कमेटी तो बनायी गयी. लेकिन इसका प्रयोग नहीं होने से महिलाएं कार्य स्थलों पर हिंसा की शिकार हो रही हैं.
सबसे अधिक परेशानी शैक्षणिक संस्थानों में
सचिवालय व समाहरणालय में देखें, तो पुरुषों की तुलना में वन थर्ड महिलाओं की संख्या है. 50 से 60 पुरुषों के बीच 5 से 10 महिलाएं होती है. वहीं, बैंकिंग व विश्वविद्यालय में यह संख्या अधिक हैं. इक्युटी फाउंडेशन की नीना श्रीवास्तव विशाखा पर काम रही है. उनके ओर से कराये गये सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सचिवालय स्तर में लगभग 10 विभागों में सेल गठित है. जिनमें मात्र वित्त विभाग में सेल कार्यरत है. अन्य में किसी को इस सेल के बारे में जानकारी तक नहीं.
वहीं, एलआइसी में भी सेल की सुविधा है. वे बताती हैं कि मेडिकल सेक्टर में नर्सों व विश्वविद्यालय में महिला प्रोफेसरों के साथ इस सेल के नहीं रहने से सबसे अधिक समस्याएं आती हैं. महिला हेल्पलाइन की मानें, तो कार्यालयों में यौन हिंसा की शिकायतें कम आती है. क्योंकि, अधिकांश महिलाओं को अपनी नौकरी चले जाने
का डर बना रहता है. सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं की ओर से महीने में चार-पांच मामले यौन हिंसा के रहते हैं.
क्या है यौन हिंसा
– यौनोत्तेजक, कामुक कहानियां व मजाक करना, व्यक्तिगत यौन मामलों पर चर्चा
-घूरना, कामुक निगाह से देखना व शारीरिक स्पर्श, कपड़े व शरीर को लेकर गंदी छींटाकशी
– घूस, धमकी आदि के जरिये यौन संपर्क व मौखिक धमकी
क्या है विशाखा गाइड लाइन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 1997 में विशाखा गाइड लाइन बनाया गया. इसके तहत महिलाओं के साथ होनेवाले यौन हिंसा के मामलों पर कानूनी कार्रवाई करके पीड़िता को न्याय दिला ने की व्यवस्था की गयी है. वर्ष 2013 में संसद की ओर से यौन हिंसा बिल को पारित किया गया है. इसके तहत सभी कार्यालयों में ‘ कंप्लेन अगेंस्ट सेक्सु अल हरासमेंट ‘ कमेटी गठन करने का निर्देश दिया गया, जहां कामकाजी पीड़ित महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सकें.