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आइ विभाग में केवल चश्मे की होती है जांच

एक साल से फेको तो छह महीने से स्लिप डिस्क मशीन खराब, मोतियाबिंद व ग्लूकोमा की नहीं हो रही जांच पटना : पीएमसीएच के आइ विभाग में मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. विभाग में कभी ग्लूकोमा जांच की मशीन तो कभी मोतियाबिंद की मशीन खराब रह रही है. लेकिन, इन दिनों ये दोनों मशीनें […]

एक साल से फेको तो छह महीने से स्लिप डिस्क मशीन खराब, मोतियाबिंद व ग्लूकोमा की नहीं हो रही जांच
पटना : पीएमसीएच के आइ विभाग में मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. विभाग में कभी ग्लूकोमा जांच की मशीन तो कभी मोतियाबिंद की मशीन खराब रह रही है. लेकिन, इन दिनों ये दोनों मशीनें खराब चल रही हैं. दरअसल मोतियाबिंद के लिए इस्तेमाल किये जानेवाली फेको मशीन व ग्लूकोमा जांच के लिए प्रयोग किये जाने वाले स्लिप डिस्क मशीन बंद पड़ी हुई हैं.
ऐसे में मरीजों को जांच के साथ ही ऑपरेशन की सुविधा से भी वंचित होना पड़ रहा है. अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों की मानें, तो मशीन की खराबी के बारे में कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है.
राजेंद्र नगर अस्पताल रेफर हो रहे मरीज : पीएमसीएच के नेत्र विभाग की मानें तो पिछले एक साल से फेको और छह महीने से स्लिप डिस्क मशीन खराब हो चुकी हैं. ऐसे में नि:शुल्क जांच के सभी दावे फेल हो रहे हैं. इतना ही नहीं, अस्पताल में दूर-दराज से मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराने वाले मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है. कई बार इसकी शिकायत मरीज व उनके परिजनों ने किया है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया है. जबकि यहां नि:शुल्क ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है.
नेत्र विभाग में इन दिनों सभी तरह का ऑपरेशन ठप है. यहां आनेवाले मरीजों को सिर्फ चश्मे की जांच की जा रही है. निशुल्क जांच की सुविधा होने के चलते यहां रोजाना 20 से 25 मरीज आते हैं. इनमें रोजाना पांच से सात मरीजों का मोतियाबिंद की ऑपरेशन व ग्लूकोमा की जांच की जरूरत पड़ती है.
नेत्र विभाग में कमियां
फेको व स्लिप डिस्क मशीन खराब
जांच के लिए मरीजों को राजेंद्र नगर नेत्र अस्पताल किया जा रहा रेफर
लेजर पुराना है
रेटिना की नहीं होती जांच, आज तक नहीं आ पायी ओसीटी मशीन
फिल्ड एनालाइसिस मशीन भी हो चुकी है खराब
अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की नहीं है सुविधा
इधर आइजीआइएमएस के दंत विभाग में न एक्सरे, न सर्जरी, केवल रूट केनाल
पटना. आइजीआइएमएस अस्पताल के दंत विभाग से सर्जरी कराने वाले मरीज निराश हैं. इन दिनों वहां सर्जरी बंद है. यहां के डॉक्टर सिर्फ ओपीडी देख रहे हैं. मरीजों को सर्जरी के लिए या तो पीएमसीएच के डेंटल अस्पताल रेफर किया जा रहा या फिर प्राइवेट अस्पताल में मरीजों को भेजने का काम किया जा रहा है. ऐसे में वैसे मरीजों को काफी परेशानी होती है, जो वाहन या किसी हादसे में अपना जबड़ा तुड़वा कर आते हैं. बताया जाता है कि मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया कोई कार्रवाई नहीं करे, इससे बचने के लिए अस्पताल प्रशासन ने आनन-फानन में अलग से दंत विभाग बना दिया, लेकिन ओटी में बड़ी सर्जरी के लिए एक भी मशीन नहीं है.
यहां तक कि एक्सरे मशीन भी नहीं लायी गयी है. सूत्रों की मानें तो रोजाना करीब 30 मरीज यहां आते हैं. इनमें से दर्जन भर मरीजों को एक्सरे की जरूरत पड़ती है. यहां सुविधा नहीं रहने से ऐसे मरीजों को बाहर में एक्सरे कराना पड़ता है.
इसमें उन्हें करीब 400 से 500 रुपये लगते हैं. दंत विभाग के सूत्रों की मानें तो सर्जरी शुरू करने के लिए विभाग ने प्रस्ताव भेजा था, लेकिन प्रबंधन ने इसे खारिज कर दिया. पीपीडी मोड पर मशीन लाने की बात हुई थी, लेकिन खुद की मशीन हो, इसके चलते यह भी खारिज हो गया.

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