पटना: यूपीए व एनडीए दोनों किसान विरोधी हैं. केंद्र की गलत कृषि नीति के कारण देश के किसानों को आत्महत्या तक करना पड़ रहा है. किसानों को न न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है और न सब्सिडी. इसके विरोध में बिहार राज्य किसान सभा 6-7 फरवरी को प्रखंडों पर प्रदर्शन करेगी.
संगठन 31 जनवरी को संसद मार्च करेगा. ये बातें अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने पत्रकार सम्मेलन में कहीं. उन्होंने कहा कि वेस्टर्न घाट के छह पहाड़ी राज्यों के पांच लाख किसानों को खेती पर रोक लगाने संबंधी कस्तूरी रंगन कमेटी की रिपोर्ट का विरोध करते हैं.
उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन की रिपोर्ट के सुझाव के अनुसार किसानों को उत्पादन खर्च और उसका 50 प्रतिशत लाभ मिले. प्रश्नों के जवाब में मोल्ला ने कहा कि सब्सिडी के रूप में अमेरिका एक किसान को सालाना छह लाख रुपये, जापान में 17 लाख, यूरोपियन देश 11 लाख सालाना देती है, जबकि भारत में किसानों को मात्र 3300 रुपये मिलता है.
केंद्र सरकार द्वारा इंडोनेशिया के बाली में हुए समझौते का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका से मिल कर किसानों को चार साल तक सब्सिडी नहीं देने का समझौता किया है. बिहार सरकार को धान पर बोनस देने में देरी का आरोप लगाया. मोल्ला ने कहा कि देर से घोषणा के कारण 80 प्रतिशत छोटे किसान धान बेच चुके हैं. जमाल रोड स्थित माकपा राज्य कार्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में माकपा राज्य सचिव विजय कांत ठाकुर भी मौजूद थे.