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चुनाव का डाटा पर्याप्त नहीं
आद्री की रजत जयंती. सोशल स्टैटिक्स इन इंडिया विषय पर संजय बोले पटना : सीएसडीएस के डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा कि चुनाव संबंधी जानकारी के लिए सिर्फ चुनाव आयोग द्वारा जारी डाटा पर्याप्त नहीं होता है. वे आद्री के रजत जयंती समारोह में आयोजित सोशल स्टैटिक्स इन इंडिया विषय पर होटल माैर्या में आयोजित […]
आद्री की रजत जयंती. सोशल स्टैटिक्स इन इंडिया विषय पर संजय बोले
पटना : सीएसडीएस के डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा कि चुनाव संबंधी जानकारी के लिए सिर्फ चुनाव आयोग द्वारा जारी डाटा पर्याप्त नहीं होता है. वे आद्री के रजत जयंती समारोह में आयोजित सोशल स्टैटिक्स इन इंडिया विषय पर होटल माैर्या में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबाेधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यदि हम महिलाओं की वोटिंग के प्रतिशत की जानकारी चाहें, तो चुनाव आयोग के डाटा से ले सकते हैं. इसके लिए हमें कुछ खास मेहनत नहीं करना पड़ेगा, पर यदि हमें तय करना है कि शहर के लोगों ने किस दल को मतदान किया, क्योंकि यह डाटा चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है.
संजय कुमार ने कहा कि भारत में चुनाव पैटर्न समझने के लिए आंकड़ों का उपयोग जरूरी है. पांच साल में 18 से 25 वर्ष वाले युवा वोटर के मतदान में तेजी आयी है. हाल के दिनों में इसमें कमी आयी है. 2014 के चुनाव 66 व 68 प्रतिशत मतदान रह गया है. दलितों के 24 प्रतिशत वोट के कारण भाजपा को जीत मिली है. सत्र की अध्यक्षता आइजीसी विहार के कंट्री डायरेक्टर अंजन मुखर्जी व आद्री के पीपी घोष ने की. कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग शहरी वोटर के बजाय शहरी बूथ और ग्रामीण बूथ की जानकारी भर देता है. चुनाव आयोग के डाटा से हम शहरी वोट को अलग नहीं कर सकते हैं.
बच्चों की देखरेख में हमारा देश पीछे
आद्री के रजत जयंती समारोह में रविवार को दूसरे सत्र में जेएनयू के प्रोफेसर अमिताभ कुंभ, यूनिसेफ बिहार के प्रभात कुमार व एनआइटी राउरकेला के जालंधर प्रधान और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के असिस्टेंट प्रोफेसर शिशिर देवनाथ ने विभिन्न मुद्दों पर अपने शोध प्रस्तुत किये. अमिताभ ने देश में स्लम से जुड़े आंकड़ों पर अपने शोध में कहा कि स्लम की संख्या घटती जा रही है
इसका कतई मतलब नहीं है कि लोगों को रहने को पक्के मकान मिल रहे हैं या फिर उनकी आमदनी बढ़ रही है. उन्हें शहरों में बसने के अनुकूल सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. वे गांव से पलायन नहीं कर रहे हैं. यह देश की अर्थव्यवस्था पर खतरा है. जब तक देश में शहरीकरण नहीं होगा, विकास नहीं हो सकता. कारण यह है कि खेती में जरूरत से ज्यादा मानव बल लगें है. इन्हें वहां से निकाल कर निर्माण या फिर सेवा क्षेत्र में लगाना होगा. वहीं, प्रभात और जालंधर ने अपने देश में बच्चों की स्थिति पर आंकड़े प्रस्तुत किये. उन्होंने बताया कि हमारे देश में बच्चों को जरूरी देखरेख नहीं मिल रहे हैं.
सभी राज्यों में बिजली की दर समान हो : सुब्रमण्यम
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि देश में ऊर्जा सबसे अहम क्षेत्र है. इसमें भी व्यापक सुधार होना चाहिए. सभी राज्यों में बिजली की दरें एक समान होनी चाहिए.
वह रविवार को आद्री के रजत जयंती समारोह में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य’ विषय पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए ‘एक्जिट’ सबसे बड़ी चुनौती है. इसमें सुधार करने की जरूरत है. कई योजनाओं में बेकार के रुपये खर्च हो जाते हैं, यह एक तरह का एक्जिट ही है. उन्होंने ‘ब्रेएक्जिट’ (ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से निकलना) का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर फिलहाल इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि देश में दाल की पैदावार को बढ़ाने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन देने की जरूरत है.
गहन अध्ययन के लिए डाटा का एनालिसिस जरूरी
आइएमएम, कोलकाता के सहायक प्रो रित्विक चटर्जी ने कहा कि व्यवहार पर आधारित अध्ययन के लिए कोई डाटा नहीं होता है. चेन्नई स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स के एसोसिएट प्रो सौरभ चक्रवर्ती ने अध्ययन के लिए बड़े डाटा के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दिया. जेएनयू के प्रो अनिर्वन चक्रवर्ती ने इकोनॉमोफिजिक्स के अध्ययन की चर्चा करते हुए कहा कि जिस प्रकार किसी स्थान पर गैस का व्यवहार होता है, वह उस स्थान पर फैलती है, ठीक उसी प्रकार पूंजी का भी व्यवहार होता है.
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