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गोलबंदी में जुटे पार्षद

मतदान से पहले मुंह खोलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं पार्षद, गुपचुप बन रही रणनीति पटना : दो दिनों बाद यानी 27 जून को होने वाले जिला पर्षद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर गहमा-गहमी बढ़ गयी है. चुनाव की राजनीति अब भोज से उठ कर गुप्त रणनीति में तब्दील हो गयी है. अपने […]

मतदान से पहले मुंह खोलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं पार्षद, गुपचुप बन रही रणनीति
पटना : दो दिनों बाद यानी 27 जून को होने वाले जिला पर्षद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर गहमा-गहमी बढ़ गयी है. चुनाव की राजनीति अब भोज से उठ कर गुप्त रणनीति में तब्दील हो गयी है. अपने चेहरों को बड़े पद पर बिठाने के लिए न सिर्फ जिला पर्षद के 45 पार्षद बल्कि राजनीति का महागंठबंधन व एनडीए खेमा भी सक्रिय नजर आ रहा है. मतदान से 48 घंटे पहले दोनों गंठबंधनों के बड़े नेता समर्थक पार्षदों के साथ मिल कर जीत की रणनीति बनाते दिखे.
मोबाइल हुए ऑफ, पार्षद भूमिगत : पंचायत चुनाव में चुन कर आये 45 जिला पार्षदों में से कोई भी मतदान से पहले मुंह खोलने को तैयार नहीं दिख रहे. सभी अपनी रणनीति के हिसाब से एक-दूसरे का समर्थन लेने में जुटे हैं. अति पिछड़ा के लिए आरक्षित अध्यक्ष खेमे के लिए दो-तीन दावेदार प्रमुख रूप से उभर कर सामने आये हैं जबकि सामान्य कोटि के उपाध्यक्ष पद के लिए कई लोग जोर-आजमाइश कर रहे हैं.
23 पार्षदों का समर्थन होगा अनिवार्य : अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए किसी भी पार्षद को 23 पार्षदों का समर्थन अनिवार्य होगा. 27 को जिला पर्षद कार्यालय में ही चुनाव होंगे, जिसकी अध्यक्षता डीएम करेंगे. चुनाव के दिन ही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरे जायेंगे. नामांकन पत्रों की जांच के बाद अंतिम बचे उम्मीदवार के पक्ष-विपक्ष में वोटिंग करायी जायेगी. वोटिंग में 23 या उससे अधिक वोट लाने वाले विजयी माने जायेंगे. वोटिंग बैलेट से होगा.

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