पटना : शहरी टीबी प्रोजेक्ट के तहत पटना जिला से मई में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा, जिसमें ऐसे मरीजों को फायदा पहुंचाया जायेगा, जो निजी संस्थानों में अपना इलाज करा रहे हैं.
योजना के तहत ऐसे सभी मरीजों के लिए दुकान का चयन किया जायेगा, जहां से प्राइवेट मरीज भी मुफ्त दवा ले सकेंगे. इसके लिए मरीजों को महज एक परिचय पत्र दिखाना होगा. पटना के बाद पायलट प्रोजेक्ट को पूरे बिहार में लागू किया जायेगा. वहीं, इसी प्रोजेक्ट के तहत स्लम में रहने वाले लोगों के बलगम की भी जांच होगी.
बिहार में टीबी मरीजों की संख्या : बिहार में 736 स्वास्थ्य संस्थाओं पर ऐसे लोग जांच करा रहे हैं जिन्हें टीबी की बीमारी का संदेह है. 2005-13 तक 26 लाख 39 हजार 314 रोगियों की जांच हुई, जिसमें तीन लाख 3 हजार 365 संक्रामक रोगी खोजे गये, लेकिन 2005-13 तक 5 लाख 87 हजार 487 टीबी रोगियों का उपचार शुरू हुआ. इसमें से लगभग 87 प्रतिशत रोगी के ठीक होने की पुष्टि हो चुकी है.
दरभंगा मेडिकल कॉलेज में खुलेगा एमडीआर टीबी वार्ड : टीबी मरीजों को भरती करने के लिए मुजफ्फरपुर व भागलपुर मेडिकल कॉलेज एवं पटना टीबीडीसी में वार्ड खोले गये हैं जहां एमडीआर टीबी मरीजों को एक सप्ताह तक रख कर इलाज किया जाता है. एक सप्ताह के भीतर दरभंगा मेडिकल कॉलेज में टीबी वार्ड खोले जायेंगे.
एमडीआर टीबी मरीज उसी श्रेणी में आते हैं जो टीबी की दवा बीच में छोड़ देते हैं उसके बाद उनका संक्रमण और तेजी से मजबूत होकर उभरता है. इसका इलाज 24 माह तक चलता है, लेकिन मरीज को एक सप्ताह वार्ड में भरती रखना पड़ता है.
खोले गये जिन एक्सपर्ट मशीन : मुजफ्फरपुर, भागलपुर मेडिकल कॉलेज एवं रोहतास यक्ष्मा केंद्र पर जिन एक्सपर्ट मशीन लगाये गये हैं, जिसके माध्यम से टीबी की रिपोर्ट दो घंटे के भीतर मरीजों को मिल जाती है.
बाहर में इलाज कराने वाले मरीजों को इसके लिए लगभग दो हजार खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इन केंद्रों पर लोगों का मुफ्त जांच होता है. वहीं पटना टीबीडीसी में दो और भागलपुर टीबीडीसी में भी लैब खोले गये हैं.