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शहर से निकलने में ही लगते हैं दो घंटे

राजधानी के हर मोड़ पर महाजाम. पांच घंटे में आखिर कोई कैसे पहुंचे जिला मुख्यालय राज्य सरकार की मंशा है कि राजधानी से राज्य के किसी भी जिला मुख्यालय तक पहुंचने में मात्र पांच घंटे का समय लगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बात को कह चुके हैं कि राजधानी को इस तरह के रोड […]

राजधानी के हर मोड़ पर महाजाम. पांच घंटे में आखिर कोई कैसे पहुंचे जिला मुख्यालय
राज्य सरकार की मंशा है कि राजधानी से राज्य के किसी भी जिला मुख्यालय तक पहुंचने में मात्र पांच घंटे का समय लगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बात को कह चुके हैं कि राजधानी को इस तरह के रोड मैप से जोड़ा जायेगा कि ट्रैफिक बेहतर बने. लेकिन, इन बयानबाजी से इतर राजधानी में ट्रैफिक के मौजूदा हालात ऐसे हैं कि राजधानी से पांच घंटे में किसी जिला मुख्यालय पहुंचना तो दूर, सड़क मार्ग से शहर से बाहर निकलने में ही घंटों लग जाते हैं.
शहर से निकासी के पांच मार्गों पर पुलों की जर्जर स्थिति और बाइपास पर लगनेवाले भयंकर जाम ने अाधे घंटे की दूरी को दो से तीन घंटे में बदल दिया है. ट्रैफिक नियंत्रण व गंगा सेतु की व्यवस्था ने शहर को टापू बना दिया है. मंगलवार को प्रभात खबर संवाददाता ने इन पांच रूटों की पड़ताल की और लगनेवाले जाम के हालात को समझा. पेश है रिपोर्ट.
राजधानी से पश्चिम की तरफ सटा जिला मुख्यालय है आरा. लगभग 60 किमी के सफर में भी आमलोगोें को दो बार जाम का सामना करना पड़ता है. सफर अगर अनिसाबाद से शुरू किया जाये, तो पहले अनिसाबाद से लेकर फुलवारी, फिर खगौल तक ट्रकों के जाम को झेलिए. इसके बाद कोइलवर पुल के पास जाम के झाम का सामना कीजिए. इन तीन जगहों पर जाम झेलने के बाद लोगों को पटना से आरा तक के तीन घंटे के सफर को पूरा करने में छह से सात घंटे का समय लगाना पड़ता है.
जीरो माइल, बाइपास का एनएच-30 और फुलवारी के पहले से लग रही ट्रकों की लंबी लाइन शहर से गया की तरफ जाने में पेच फंसाती है. इस मार्ग का लोग गया, औरंगाबाद होते हुए रोहतास के आगे यूपी तक के लिए करते हैं. यहां बाइपास पर ट्रकों की भारी संख्या और मीठापुर मोड़ के पास पुल व नालों के निर्माण कार्य से जाम की समस्या काफी गंभीर हो गयी है. यहां शहर को पार करने में पांच किमी का सफर को दो घंटे में तय होता है.
बीते दो माह से अनिसाबाद से लेकर जीरो माइल तक जाम की समस्या बनी हुई है. ट्रकों की भयंकर कतार, मीठापुर मोड़ के पास पुल निर्माण और सिपारा पुल के पास जगह की कमी ने परेशानी बढ़ा दी है. अनिसाबाद से जीरो माइल तक 8 िकमी की दूरी तय करने में 15-20 मिनट के बजाय डेढ़ से दो घंटे लग रहे हैं. पटना से बिहारशरीफ तक जाने में पहाड़ी मोड़ तक घंटों जाम से जूझना पड़ता है. इस रूट से लोग बिहारशरीफ ही नहीं, नवादा से लेकर झारखंड तक जाते हैं.
राजधानी को अभी उत्तर बिहार से जोड़ने के लिए मात्र गांधी सेतु ही सहारा है. लगभग छह किमी लंबे पुल का 46 नंबर पाया धंस गया है और वर्षों से पुल का एक फ्लैंक भी खुला हुआ है.
पुल पर ट्रकों के दबाव से हर वक्त जाम की स्थिति रहती है. हर दिन आम लोगों को सेतु पार करना बड़ी चुनौती होता है. सेतु पार करने मेें दो घंटे लग जाते हैं. कभी-कभी और भी देर होती है. लोगों को गांधी सेतु की जरूरत हाजीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी से लेकर किशनगंज व नेपाल तक जाने के लिए होती है.

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