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कॉपी री-चेकिंग की शिकायत एक साल बाद बोर्ड ने भेजा जवाब

कॉपी में दिये गये नंबरों को जोड़ने पर सामने आयी लापरवाही बिहार बोर्ड की मनमानी : कुल नंबर जोड़ने में दिये गये 8 नंबर कम पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड (बीएसइबी) इन दिनों 12वीं की परीक्षा में व्यापक स्तर पर बरती गयी धांधली के कारण बेहद सुर्खियों में है. बोर्ड की लापरवाही और धांधली […]

कॉपी में दिये गये नंबरों को जोड़ने पर सामने आयी लापरवाही
बिहार बोर्ड की मनमानी : कुल नंबर जोड़ने में दिये गये 8 नंबर कम
पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड (बीएसइबी) इन दिनों 12वीं की परीक्षा में व्यापक स्तर पर बरती गयी धांधली के कारण बेहद सुर्खियों में है. बोर्ड की लापरवाही और धांधली मैट्रिक की परीक्षा में भी सामने आती है. छात्र के नंबर कम मिलने पर अगर वह आवेदन करता है, तो इसका समाधान एक साल बाद बोर्ड की तरफ से आता है. इसके बाद यह पता चला कि कॉपी में जो नंबर दिये गये हैं.
इसे टोटल करने में बड़े स्तर पर गलती हुई है. अंक पत्र पर चढ़े नंबर से आठ-नौ नंबर अधिक आने चाहिए. चार-पांच विषयों में जोड़ने पर कुल प्राप्तांक में करीब 25 नंबर अधिक प्राप्त हो रहे हैं. परंतु एक साल बाद छात्र को प्राप्त हुए इस अधिक नंबर को पाकर खुशी से ज्यादा दुख हो रहा है. इस लापरवाही के लिए दोषी बीएसइबी छात्र को क्या मुआवजा देगा, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है.
यह तो बस एक बानगी है, इस तरह की लापरवाही व्यापक स्तर पर बरती गयी है. इसका खुलासा कॉपियों की जांच फिर से करने पर सामने आ सकती है, जो की संभव नहीं है. कम नंबर देने या कॉपी की फिर से जांच करने के लिए क्लेम करने वाले छात्रों को भी कोई फायदा नहीं मिलता है. ‘री-स्क्रूटनी’ के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है.
उजागर हुई बोर्ड की लापरवाही
विशाल ने जब कॉपी देखी और इसमें दिये गये नंबरों को जोड़ा, तो पता चला कि प्रश्नवार जो नंबर दिये गये हैं, उसे भी टोटल करके सही से नहीं जोड़ा गया है. संस्कृत में चार नंबर अधिक मिलने चाहिए थे. मार्कशीट पर 49 अंक है, जबकि होने चाहिए थे 63. इसी तरह विज्ञान में 61 नंबर आये हैं, जबकि मिलना चाहिए 71 अंक.
इसी तरह हिन्दी, समाज विज्ञान विषयों की भी स्थिति है. इनमें भी कुल अंक से कम अंक जोड़े गये हैं. यह तो टोटलिंग की कहानी है. अच्छे से कॉपी की जांच करने पर इसमें औसत मार्किंग की बात भी सामने आती है. जवाब सही होने पर भी पूरे नंबर के स्थान पर औसत दिये गये हैं.
प्रथम अपील में भी नहीं हुई सुनवाई
पिछले वर्ष 2015 में मैट्रिक की परीक्षा का रिजल्ट आया, तो किशनगंज के रहने वाले विशाल कुमार को पास होने की खुशी के साथ-साथ दुख हुआ कि अनुमान से कम नंबर आये. इस पर उसके पिता ने बीएसइबी में पांच विषयों हिन्दी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और संस्कृत का पुनर्मूल्यांकन या रीचेकिंग करने के लिए आवेदन किया. परंतु काफी समय बाद भी न कोई जवाब आया और न ही उसके रिजल्ट में ही कोई संशोधन किया गया.
इस पर उसकी मां पिंकी सिन्हा ने आरटीआइ में इसकी जानकारी मांगी, लेकिन एक महीना तक जवाब नहीं आने पर वह प्रथम अपील में गयी. फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. परंतु एक साल बाद बोर्ड ने जवाब देते हुए 25 मई 2016 को पत्र भेजा. इसमें कहा गया कि विशाल बोर्ड में आकर एडमिट कार्ड की फोटोकॉपी जमा करके उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी प्राप्त कर सकती है.

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