पटना : विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बाल मजदूरी की मूल समस्या गरीबी और अशिक्षा है. जब तक इसके कारणों को दूर नहीं किया जायेगा, जिससे बाल श्रमिक उत्पन्न हो रहे हैं तब तक इस समस्या का हल नहीं हो सकता है. बाल मजदूरी के शिकार अल्पसंख्यक, जो लोग हाशिये पर हैं या जो अनाथ हैं वे शिकार होते हैं.
अधिवेशन भवन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने ‘वेब बेस्ड चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम’ और ‘मीडिया कंपेनिंग व पोस्टर’ का भी शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री ने मुक्त कराये गये बाल श्रमिकों को सीएम राहत कोष से 25 हजार रुपये देने घोषणा की और बाल श्रमिकों की ओर से दिये गये चार्टर ऑफ डिमांड के लिए मुख्य सचिव के अध्यक्षता में कमेटी के गठन का भी एलान किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार की ओर से मुक्त कराये गये बाल श्रमिकों को दिये जा रहे 18 सौ रुपये को बढ़ा कर तीन हजार रुपये कर दिया जायेगा. कैबिनेट में इसकी मंजूरी के बाद यह प्रभावी हो जायेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों से काम लेना और करना गुनाह है. इसमें सजा का भी प्रावधान है. कानून के रहते हुए भी बच्चों को काम पर लगाया जाता है. बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है, उसकी काउंसेलिंग हो रही है और फिर उसे घर भी पहुंचा जा रहा है, लेकिन क्या गारंटी है कि उसे दोबारा नहीं भेजा जायेगा. ‘वेब बेस्ड चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम’ इसमें कारगर होगा. बाल श्रमिकों की मुक्त कराने के बाद उसकी लगातार ट्रैकिंग की जायेगी. समस्या है कि जब सरकार सारी सुविधाएं देती हैं तो बाल श्रमिक बनने पर बच्चे क्यों मजबूर हैं. स्कूली शिक्षा से पहले ही बच्चों की तीन से छह साल की उम्र तक आंगनबाड़ी केंद्र में उनकी शिक्षा व पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाता है. चित्र व गीतों के माध्यम से सिखाया जाता है. हर साल 250 रुपये कपड़े के लिए दिये जाते हैं. स्कूली शिक्षा पर आने के बाद मध्याह्न भोजन, पोशाक योजना, छात्रवृत्ति और नौंवी क्लास में जाने के बाद साइकिल योजना का लाभ दिया जाता है. इसके बाद भी बाल मजदूर बनने पर क्यों मजबूर हो रहे हैं.
आंगनबाड़ी केंद्रों के हाल को लेकर पिछले दिनों नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया से भी उन्होंने चर्चा की थी और बाद में केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र भी लिया है. मीडिया कैंपेनिंग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कितने लोग विज्ञापन पढ़ते हैं या देखते हैं, मैं तो नहीं पढ़ता. उन्होंने प्रिंट व इलेट्रॉनिक मीडिया पर चुटकी ली और बाल श्रम निषेध कैंपनिंग में सहयोग की अपील की.
बाल श्रम से बच्चों का छिन जाता है बचपन : मंजू वर्मा : समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा ने कहा कि बाल श्रम से बच्चों का बचपन छीन जाता है. बाल श्रम अभिषाप व समाज का कोढ़ है. बचपन पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने और जीवन जीने के लिए होता है. बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगना चाहिए और उन्हें उनका अधिकार देना चाहिए.
बाल श्रम मुक्त बनायेंगे बिहार : अशोक चौधरी : शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बाल श्रम समाप्त नहीं हुई है और ना ही बाल श्रम पर पूरी तरह रूका है. जब तक जनसंख्या पर रोक नहीं लगेगी इसे नहीं रोका जा सकता है. 2001-11 के बीच बिहार में बाल श्रम कम हुई है. इसके लिए एक्शन प्लान भी बना था. सराकर बिहार को बाल श्रम मुक्त बिहार बनाने का काम करेगी. इससे पुराने के साथ-साथ नया बिहार बना सकेंगे.
बाल श्रम सबसे बड़ा कलंक : विजय प्रकाश : श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने कहा कि बाल श्रम सबसे बड़ा कलंक है. बाल श्रमिकों को शिक्षा नहीं मिलती और उनका बचपन छीन जाता है.
मद्य निषेध के तर्ज पर चले बाल श्रम निषेध अभियान
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल श्रम निषेध के लिए सघन अभियान चलाने की जरूरत है. मीडिया कैंपेनिंग भी होगी. नीचले स्तर से अभियान चलाना चाहिए. मद्य निषेध पर जिस प्रकार शिक्षा विभाग की ओर से जनजागृति का अभियान चलाया गया वैसा ही अभियान इसमें भी चलाया जाना चाहिए. मद्य निषेध के लिए 1.19 करोड़ अभिभावकों ने हस्ताक्षर कर शपथ लिया कि वे शराब नहीं पीयेंगे और दूसरों को भी पीने नहीं देंगे. साथ ही यह अभियान कुछ समय के लिए नहीं, बल्कि निरंतर चलाना चाहिए. समाज में अनेक कुरितियां मिटी है और बाल श्रमिक कुरीति भी मिटेगी.
खोला जायेगा बैंक एकाउंट, दी जायेगी रािश
मुख्यमंत्री ने मुक्त कराये गये बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये देने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 1800 रुपये दिये जाते हैं, लेकिन कैबिनेट में इसे बढ़ाकर 3000 करने का प्रस्ताव है और संबंधित जिले से बाल मजदूर को 5000 रुपये मिलते हैं. ऐसे में सरकार ने ”वेब बेस्ड चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम” के तहत जो भी बाल मजदूर आयेंगे, उन्हें 25 हजार रुपये दिये जायेंगे. चाहे वे अभी छुड़ाये गये बाल मजदूर हों या फिर पहले के. ऐसे लोगों का बैंक एकाउंट खोल कर उसमें राशि जमा कर दी जायेगी. इससे उनके मन में आत्मविश्वास जगेगा.
बाकी काम सरकारी योजनाओं से अलग से होगा. मुख्यमंत्री ने बाल श्रमिकों की ओर से दिये गये चार्टर ऑफ डिमांड को मानने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठन करने का भी एलान किया. उन्होंने कहा कि यह कमेटी किसकी क्या जिम्मेदारी है, यह तय करेगी. कौन काम एनजीओ और कौन काम सरकारी कर्मी करेंगे उसका भी निर्णय यह
कमेटी लेगी.