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तो गंगा नहीं होगी मैली
अनिकेत त्रिवेदी पटना : गंगा को मैली होने से रोकने और सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए पूरे शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और नेटवर्क की मंजूरी अब अंतिम दौर में है. बुडको से पूरी योजना तैयार होने के बाद केंद्र की नेशनल मिशन आॅफ गंगा क्लीनिंग एजेंसी ने इस पर मुहर लगा दी […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : गंगा को मैली होने से रोकने और सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए पूरे शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और नेटवर्क की मंजूरी अब अंतिम दौर में है.
बुडको से पूरी योजना तैयार होने के बाद केंद्र की नेशनल मिशन आॅफ गंगा क्लीनिंग एजेंसी ने इस पर मुहर लगा दी है. बुडको के जीएम टेक्निकल जीएन सिंह ने बताया कि केंद्र की एजेंसी की स्वीकृति के बाद अब वर्ल्ड बैंक की फाइनल मुहर लगनी बाकी है. वर्ल्ड बैंक की तरफ से इस पर बुडको से कुछ शेष कागजात की मांग की गयी है. संभावना है कि बुडको के अधिकारी एक सप्ताह में दिल्ली जाकर अपने पक्ष को रखेंगे. इसके बाद वर्ल्ड बैंक का इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगनी लगभग तय है. बुडको के अधिकारी बताते हैं कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो बुडको मॉनसून के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर देगा.
बुडको ने निविदा को किया क्लोज
बुडको की ओर से शहर की तीन जगहों पर एसटीपी प्लांट और इसके साथ पूरे शहर में सीवरेज नेटवर्क के निर्माण के लिए निविदा को अब क्लाेज कर दिया गया है.
बुडको के अधिकारी बताते हैं कि बुडको की निविदा में तीन बड़ी कंपनियों ने टेंडर डाला है. केवल करमलीचक में सीवरेज नेटवर्क का टेंडर सफल नहीं हो पाया था. अब वर्ल्ड बैंक ने करमली चक के काम के लिएएक बार फिर से निविदा निकालने का एनओसी दे दिया है. आने वाले एक-दो दिनों में बुडको इसके लिए निविदा आमंत्रित करेगा.
यह है एसटीपी की स्थिति : फिलहाल शहर में पहले से चार जगहों बेऊर, सैदपुर, पहाड़ी और करमलीचक में एसटीपी प्लांट लगे हुए हैं. इनमें से पहाड़ी का एसटीपी प्लांट पहले से खराब है.
वहीं शेष तीन एसटीपी प्लांट अपनी आधी क्षमता पर काम कर रहे हैं. बेऊर मेें साफ हुआ पानी आगे जाकर टूटे हुए नाले से बह जाता है और आगे चल कर वापस नाले में मिल जाता है. वहीं हाल सैदपुर एसटीपी का है. साफ पानी सैदपुर नहर में गिरता है.
मलीचक के एसटीपी का साफ पानी फिर दोबारा वापस उसी ड्रेनेजमें चला जाता है.
सीवरेज नेटवर्क पर खर्च होंगे 656.44 करोड़
शहर में तीन जगहों पर एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जायेंगे. इन पर करीब 330.11 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इसी तरह, शहर में सीवरेज नेटवर्क का जाल बिछाने के लिए 656.44 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. कुल मिला कर इस पर 986.55 करोड़ रुपये की लागत आयेगी.
कैसे काम करता है एसटीपी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में सीवरेज के पानी को ड्रेनेज और संप हाउस के माध्यम से गंदा पानी लाया जाता है. प्लांट में गंदे पानी को साफ किया जाता है. इसके बाद फिर साफ पानी को ड्रेनेज की सहायता से पानी गंगा में छोड़ा जाता है.
गंगा में सीधे गंदा पानी नहीं गिरेगा
किसी भी सिटी को स्मार्ट सिटी बनने के लिए सीवरेज की बेहतर सुविधा होना जरूरी है. अगर शहर में सीवरेज नेटवर्क बनता है, तो लोगों को इसकी सुविधा मिलेगी. शौचालय निर्माण में कम लागत आयेगी. लोग ड्रेनेज में सीवरेज पाइप लाइन को नहीं जोड़ेंगे. इसके अलावा गंगा में सीधे गंदा पानी नहीं गिरेगा और गंगा मैली होने से बच जायेगी.
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