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सिसकियां लेता रहा नंदन भवन
पटना : नागेश्वरी कॉलोनी का मकान संख्या 88 नंदन भवन. पटना का चर्चित लोहा कारोबारी परिवार. उद्योग-व्यापार की ऊंचाइयां चढ़ रहा पीयूष नंदन का यह परिवार अब तक पटना में एेसा दिन नहीं देखा था. पीयूष को जितना अपने पिता से प्यार था उससे कहीं ज्यादा चाचा सुशील से. लेकिन अब उसके चाचा का वह […]
पटना : नागेश्वरी कॉलोनी का मकान संख्या 88 नंदन भवन. पटना का चर्चित लोहा कारोबारी परिवार. उद्योग-व्यापार की ऊंचाइयां चढ़ रहा पीयूष नंदन का यह परिवार अब तक पटना में एेसा दिन नहीं देखा था.
पीयूष को जितना अपने पिता से प्यार था उससे कहीं ज्यादा चाचा सुशील से. लेकिन अब उसके चाचा का वह हंसता हुआ चेहरा सामने नहीं था. सिर्फ यादें थीं जो पल-पल रुला रहीं थीं. शाम के करीब चार बजे थे जब हाजीपुर से फोन आया कि सुशील कुमार का मर्डर कर दिया गया है. यह सूचना पीयूष और उसके परिवार को झकझोर देने वाली थी.
अानन-फानन में बड़े चाचा दिनेश को लेकर हाजीपुर निकल गये. इधर पटना आवास पर कोहराम मच गया. पीयूष की मां ज्योत्सना, सुशील की पत्नी सबिता का रो-रो कर बुरा हाल. सुशील के दोनों बच्चे साहिल(12) और आस्था(9) मां की गोद में मुंह छुपाकर पापा को बुला रहे थे. सबिता बार-बार बेहोश हो रही थी. घर के लोग जब मुंह पर पानी का छींटा मारते तो थोड़ी-थोड़ी देर में होश आ रहा था. देर रात हाजीपुर में शव का पोस्टमार्टम होने के बाद लाश पटना आवास पर आया. लाश आते ही पूरा परिवार फूट-फूट कर रोने लगा.
काफी देर तक लोग एक दूसरे को संभालते रहे. यह दौर पूरी रात चला. कभी सन्नाटा तो कभ करुण-क्रंदन. जब कोई संबंधी आता तो मुंह से चित्कार निकल जाती. पूरी रात नंदन भवन सिसकियां लेता रहा. पत्नी, बच्चे और पूरा परिवार बदहवास मकान के ग्राउंड फ्लाेर पर पड़े रहे.
पप्पू आज नहीं आया था
अजय उर्फ पप्पू सोमवार को काम पर नहीं आया था. वह अनुपस्थित था. यहां बतां दें कि 10 माह पहले पप्पू हाजीपुर पैसों को कलेक्शन करने गया था. इस दौरान उसके साथ बाइक सवार दो लूटेरों ने लूट कर लिया था.
उसके 11 लाख की लूट की गयी थी. घटना के बाद पीयूष नंदन ने हाजीपुर नगर थाने में लूट का मामला दर्ज कराया था. लेकिन पुलिस ने अपने अनुसंधान में इसे गबन बताते हुए पप्पू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पीयूष का कहना था कि वह बहुत बचाने की कोशिश किया लेकिन पुलिस मानने को तैयार नहीं थी.
इस केस में पप्पू करीब दो माह तक जेल में था. इसके बाद उसे जमानत मिल गयी. वह फिर से पीयूष के पास आया और उन्हीं के यहां नौकरी करने लगा. यूं तो पीयूष को किसी पर हत्या की घटना को लेकर शक नहीं है. पर इतना जरुर पता चला है कि सोमवार को पप्पू काम पर नहीं आया था. यह जांच का विषय है. पुलिस इसे खंगाल रही है.
पुलिस को कोसता रहा पूरा परिवार
सुशील की हत्या के बाद उनका पूरा परिवार हाजीपुर पुलिस को कोसता रहा. रोते-बिलखते परिवार के पास सवाल ही सवाल थे. आखिर क्या रखा था उस कागज में जो पुलिस नहीं दे रही थी. पुलिस पाक-साफ है, तो इसका जवाब दे. किस बात का पैसा मांगा जा रहा था. पीयूष की मां ज्योत्सना का कहना था कि मेरा देवर तो चला गया, लेिकन कौन है इसका जिम्मेवार.
अलीगढ़ से 40 साल पहले पटना आया था व्यवसायी परिवार
अलीगढ़ (यूपी) के मूल निवासी स्व. कृष्ण नंदन वार्ष्णेय 40 साल पहले पटना आये थे. यहां पर पीरमुहानी में छोटे से लोहे के कारोबार की शुरुआत के बाद यह परिवार आगे बढ़ता गया. तीन साल पहले कृष्ण नंदन की कैंसर से मौत हो गयी. तब से उनका बेटा पीयूष नंदन ही पूरे कारोबार को देखता है. पीयूष की मां ज्योत्सना ने बताया कि सुशील उनके मौसेरे देवर हैं.
15 साल की उम्र में सुशील और 18 साल की उम्र में उनके बड़े भाई दिनेश को पीयूष के पिता ने अलीगढ़ से बुलाया था. तभी से ये यहीं रहते थे और पीयूष के साथ कारोबार देखते थे. नागेश्वर कॉलोनी में सुशील अौर पीयूष के परिवार एक साथ रहते हैं.
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