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भूकंपरोधी निर्माण के लिए सिर्फ 327 इंजीनियरों को ही प्रशिक्षण
पटना : राज्य में भूकंपरोधी भवनों के निर्माण के लिए अब तक सिर्फ 327 इंजीनियरों और वास्तुविदों को भूकंपरोधी भवन निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सका है, जबकि राज्य के 21 जिले भूकंप के हाइरिस्क जोन में आते हैं. सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया जिले के सभी प्रखंड खतरनाक सिस्मिक जोन पांच में आते हें. […]
पटना : राज्य में भूकंपरोधी भवनों के निर्माण के लिए अब तक सिर्फ 327 इंजीनियरों और वास्तुविदों को भूकंपरोधी भवन निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सका है, जबकि राज्य के 21 जिले भूकंप के हाइरिस्क जोन में आते हैं. सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया जिले के सभी प्रखंड खतरनाक सिस्मिक जोन पांच में आते हें. ऐसे जिलों में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है.
मधेपुरा के अधिकांश प्रखंडों समेत किशनगंज के दो, सहरसा के छह,दरभंगा के 12, मुजफ्फरपुर के दो प्रखंड भूकंप के सिस्मिक जोन पांच में आते हैं. लोगों को भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए तकनीकी सहयोग नहीं मिल रहा है. प्रशिक्षित इंजीनियरों की कमी के कारण न ही कारीगर को प्रखंड के स्तर पर प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू हो सका और न ही आम लोगों को प्रेरित करने की तैयारी.
विभागीय अधिकारी का मानना है कि भूकंपरोधी भवन बनाने में लोगों को सहयोग के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षित इंजीनियरों का सेल बनाने का निर्णय लिया गया था. इंजीनियरों को भूकंपरोधी निर्माण के प्रशिक्षण की जिम्मेवारी बिपार्ड से हटाकर आपदा प्रबंधन प्राधिकार का सौंपा गया था, लेकिन इसमें अब तक तेजी नहीं आयी है.
अधिकारी ने बताया कि इस साल प्राधिकार 400 इंजीनियरों को भूकंपरोधी निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा.
सचिवालय समेत अन्य सरकार भवनों को करनी थी रेट्रोफिटिंग
विभागीय अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने तय किया था कि सरकार के मुख्यालय सचिवालय समेत जिलों के महत्वपूर्ण भवनों समेत अन्य सरकारी भवनों को भूकंपरोधी बनाया जायेगा. इन पुराने भवनों को रेट्रोफिटिंग (पुराने भवनों को भूकंपरोधी बनाना) करना था. प्रशिक्षित इंजीनियरों की कमी के कारण यह अब शुरू भी नहीं हो सका है. अधिकारी ने बताया कि यदि इसी तरह गैर भूकंपरोधी निर्माण कार्य जारी राहा तो भूकंप से जान-माल की बड़ी क्षति का सामना करना होगा.
आपदा प्रबंधन प्राधिकार के उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिन्हा ने कहा जल्द ही प्रशिक्षित इंजीनियरों की कमी दूर होगी. उन्होंने कहा कि सरकारी निर्माण के लिए विभिन्न विभागों के तीन हजार इंजीनियरों और तीन से अधिक वास्तुविदों के साथ-साथ 16 हजार राज कारीगरों को प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जायेगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
सिन्हा ने बताया कि निजी भवन निर्माण में सहयोग के लिए बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त इंजीनियरों को भूकंपरोधी निर्माण के लिए प्रशिक्षण शुरू किया जायेगा. इसमें भवन निर्माण में लगे निजी ठेकेदारों को भी शामिल किया जा रहा है. ऐसे इंजीनियर, वास्तुविद और ठेकेदार आम लोगों को मांग पर तकनीकी सहयोग देंगे.
भूकंप के सिस्मिक जोन पांच के जिले
भूकंप के सबसे खतनाक जोन पांच में सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया के सभी प्रखंड
सिस्मिक जोन चार के जिले
सिस्मिक जोन चार को भी भूकंप के दृष्टिकोण से खतरनाक जोन में माना जाता है. ऐसे क्षेत्रों को भूकंप से खतरा बना रहता है.
इसमें पूरा का पूरा पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना के दुल्हिन बाजार और पालीगंज छोड़कर सभी प्रखंड, भोजपुर के आरा और कोइलवर, जमुई, जहानाबाद व नवादा के अधिकांश प्रखंड सिस्मिक जोन चार मेें है. अन्य जिले सिस्मिक जोन तीन में आते हैं.
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