* सहकारिता मंत्री ने निबंधित सोसाइटी की सूची एकत्र करने व जांच कर रिपोर्ट देने को कहा
पटना : पूरे राज्य में नॉन बैंकिंग कंपनियों की स्थिति का आकलन होगा. सहकारिता कानून के तहत रजिस्टर्ड सोसाइटी के क्रियाकलापों की जांच की जायेगी. किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा. सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने शुक्रवार को जिला सहकारी पदाधिकारियों की बैठक में सभी जिलों में निबंधित सोसाइटी की सूची एकत्र करने व जांच कर रिपोर्ट देने को कहा.
मंत्री ने कहा कि नॉन बैकिंग कंपनियों की तरह पैसे उगाही करनेवालों को छोड़ा नहीं जायेगा. प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि सभी डीसीओ को निर्देश दिया 15 दिनों के अंदर सभी नॉन बैंकिंग कंपनियों के कामकाज का पूरा ब्योरा दें. यह देखें कि कहीं प्रलोभन देकर आम लोगों की राशि तो नहीं लूटी जा रही है. उन्होंने बताया कि राज्य में लगभग 400 नॉन बैंकिंग कंपनियां हैं.
उन्होंने जिला सहकारिता पदाधिकारियों को गेहूं खरीद में तेजी लाने का भी निर्देश दिया. बैठक में निबंधक सहयोग समितियां मनीष कुमार, संयुक्त निबंधक, केंद्रीय सहकारी बैंकों के एमडी सहित डीसीओ व अन्य अधिकारी मौजूद थे.
* संभावित कार्रवाई
हाइकोर्ट के आदेश के बाद सारधा ग्रुप की सभी संपत्तियां जब्त कर ली जायेंगी
सारधा ग्रुप से लाभ लेनेवाले तृणमूल सांसदों से ममता इस्तीफा ले सकती हैं
* 52 साल बाद विशेष सत्र
चिटफंड घोटाले पर बंगाल विस का 29-30 अप्रैल को होगा विशेष सत्र
1960 में वीसी राय ने असम से बंगालियों को निकालने पर बुलाया था विशेष सत्र
* देबजानी बनना चाहती है सरकारी गवाह
सेंट्रल डेस्क : पश्चिम बंगाल और असम में छोटे निवेशकों से करोड़ों की धोखाधड़ी करनेवाली कंपनी सारधा ग्रुप की कार्यकारी निदेशक देबजानी मुखर्जी सरकारी गवाह बनना चाहती है. इधर, देबजानी की बहन अर्पिता ने कहा है कि उसकी बहन को फंसाया गया है. वह एक साधारण कर्मचारी थी. उसने वही किया, जो कंपनी के डायरेक्टर सुदीप्त सेन ने उससे करने के लिए कहा.
हालांकि, उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि अचानक देबजानी के पास इतने पैसे कहां से आ गये कि उसने आलीशान बंगला खरीद लिया और महंगी गाड़ियों में चलने लगी. अर्पिता यह भी नहीं बता सकी कि उसकी बहन को कितना वेतन मिलता था. अर्पिता ने इस बात से इनकार किया कि उसकी बहन भागी थी. उसने कहा कि देबजानी कंपनी की मीटिंग में भाग लेने के लिए विमान से दिल्ली गयी थी.
हालांकि, पुलिस कह रही है कि देबजानी कार से सुदीप्त सेन के साथ पहले रांची गयी, वहां से सोनमर्ग. देबजानी के वकील अभिषेक मुखर्जी ने कहा कि उनकी मुवक्किल सरेंडर करना चाहती थी, लेकिन उसे सोनमर्ग में रुकने के लिए बाध्य किया गया. वकील ने कहा कि देबजानी ने जनवरी में ही इस्तीफा दे दिया था.
* सुदीप्त की तीन और राजदार
देबजानी पोंजी कारोबारी सुदीप्त सेन की एकमात्र करीबी नहीं थी. देबिका दासगुप्ता, पोलमी मुखर्जी और मिताली मुखर्जी भी सुदीप्त की राजदार हैं. इनमें सिर्फ मिताली की उम्र 30 से अधिक है. देबिका और पोलमी की उम्र क्रमश: 27 और 28 वर्ष है. ये सभी निदेशक मंडल में थीं. खड़गपुर की देबिका ने 2009 में कंपनी ज्वाइन की.
उसे नहीं मालूम कि वह कंपनी की निदेशक है. उसने कहा कि उसे 20 हजार रुपये वेतन मिलते थे. भुवनेश्वर से एमबीए पोलमी ने 2008 में सारधा ग्रुप में आयी.
उसकी मां कनिका मुखर्जी ने कहा कि उनकी बेटी सारधा रियलिटी की निदेशक नहीं थी. उसे एक कर्मचारी की तरह 80 हजार रुपये वेतन मिलते थे. मिताली बनर्जी (47) सितंबर तक पति के साथ बेलघरिया में रहती थी. बाद में वह मकान बेच कर कहीं और चली गयी. अब कहां रहती है, किसी को पता नहीं.
तृणमूल सांसदों पर मुकदमा दर्ज : सुदीप्त सेन के ‘चैनल 10’ के 20 कर्मचारियों ने दो तृणमूल सांसदों कुणाल घोष और सृंजय बोस के खिलाफ कोलकाता स्थित पार्क स्ट्रीट थाना में गुरुवार शाम को नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी. इन पर कर्मचारियों को वेतन नहीं देने का आरोप है. इन पर सारधा ग्रुप से आर्थिक लाभ लेने के आरोप हैं.
इडी करेगी घोटाले की जांच : लाखों लोगों को धोखा देनेवाले सारधा ग्रुप और उसके कर्ता-धर्ता सुदीप्त सेन, देबजानी मुखर्जी, तंजील गोलमाई, अरुप शंकर धर, सुदीप घोष और सुदीप्त सेन की पत्नी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (इडी) जांच करेगा. कई राज्यों में सारधा ग्रुप के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है. इडी सूत्रों के मुताबिक, असम के गुवाहाटी में निवेशकों ने सारधा ग्रुप के खिलाफ चार प्राथमिकी दर्ज कराये हैं.
चिदंबरम की पत्नी से पूछताछ संभव : चिट फंड घोटाले की जांच के लिए बना जस्टिस श्यामल सेन आयोग केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम से पूछताछ कर सकता है. जस्टिस सेन सीबीआइ से सुदीप्त सेन की चिट्ठी भी मांग सकते हैं.
* विधेयक वापस भेजा
पश्चिम बंगाल की वाम मोरचा सरकार की ओर से पारित चिट फंडों के विनियमन संबंधी विधयेक राज्यपाल एमके नारायणन को वापस भेज दिया गया है. राज्य की मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि सारधा समूह का घोटाला सामने आने के बाद वह इस विधेयक में कुछ बदलाव करना चाहती है, लिहाजा उसे राज्य सरकार को वापस भेज दिया जाये. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया, ‘इसे राज्यपाल को वापस भेज दिया गया है.
* लोगों का प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल लगभग 60 चिट फंड कंपनियों कार्यालयों पर शुक्रवार को निवेशकों ने प्रदर्शन किया और अपना पैसे लौटाने की मांग की. उधर, पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस और भाजपा महिला मोरचा ने चिट फंड कंपनी सारधा के खिलाफ अलग-अलग प्रदर्शन किया. युवा कांग्रेस ने राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग के समक्ष प्रदर्शन किया और सुदीप्त सेन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
* कुणाल व सुदीप्त पर प्राथमिकी
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष, सारधा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन और छह अन्य के खिलाफ चैनल 10 के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
जेसीपी (क्राइम) पल्लब कांति घोष ने शुक्रवार को बताया कि यह प्राथमिकी कल रात पार्क स्ट्रीट थाने में चैनल 10 के 21 कर्मचारियों ने दर्ज करायी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी ने न तो उनके वेतन का भुगतान किया है और न ही उसने भविष्य निधि में उनका बकाया जमा किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या सांसद को गिरफ्तार किया जायेगा, तो घोष ने कहा, हमने जांच शुरूकर दी है.
जांच के लिए जो भी जरूरी होगा, किया जायेगा. इधर, कुणाल घोष ने कहा, मैं किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हूं. मैं मालिक नहीं था. वित्त और लेखा विभाग मेरे अंदर नहीं थे. मेरे पास चेक पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं था. मेरी छवि को धूमिल करने के प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुदीप्त सेन चैनल 10 के मालिक हैं.
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भेजे गये अपने पत्र में घोष ने लिखा है, मेरा सारधा के वित्तीय कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है. अगर जांच में मेरी संलिप्तता का खुलासा होता है, तो मैं राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने को तैयार हूं. उन्होंने कहा कि मैं सितंबर, 2010 में सारधा मीडिया समूह में शामिल हुआ था और मार्च, 2012 में तृणमूल सदस्य और सांसद बना. इसलिए कृपया मुझे और मेरी पार्टी को इससे अलग रखें.