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बिहटा प्रखंड का जल स्तर गिरा, सरकारी चापाकल फेल
बिहटा : वर्षों से पर्यावरण के साथ किया जा रहा खिलवाड़ अब एक अभिशाप बन कर हमारे सामने आने लगा है. पृथ्वी पर जीवन के लिए पानी की क्या महत्ता है अब शायद ही किसी को बताना शेष हो. जल स्तर में ये बड़ी गिरावट एक बड़े खतरे का संकेत है. यह बिहटा प्रखंड में […]
बिहटा : वर्षों से पर्यावरण के साथ किया जा रहा खिलवाड़ अब एक अभिशाप बन कर हमारे सामने आने लगा है. पृथ्वी पर जीवन के लिए पानी की क्या महत्ता है अब शायद ही किसी को बताना शेष हो. जल स्तर में ये बड़ी गिरावट एक बड़े खतरे का संकेत है. यह बिहटा प्रखंड में साफ दिख रहा है. इस भीषण गरमी में 26 पंचायतों के इस प्रखंड में ऐसा कोई गांव नहीं बचा है जहां इस बार पानी का संकट नहीं है. सरकारी हो या गैरसरकारी सभी चापाकल सूख गये हैं. यहां जल स्तर अब लगभग 40 फुट तक चला गया है.
चापाकल बंद होने और सूखने का ये आंकड़ा हमें डरा भी रहा. पीएचइडी द्वारा पूर्व में प्रखंड के कई गांवों में लगभग 12सौ चापाकल लगाये गये थे. इनमें अधिकतर चालू हालत में नहीं हैं.
पानी की किल्लत देखते हुए यहां मार्क 2 और मार्क 3 वाला करीब एक हजार चापाकल लगाये गये, लेकिन उनमें अब मात्र 250 काम कर रहे हैं. इस बार प्रभावित वैसे भी गांव हैं जहां अभी तक कभी ऐसी समस्या नहीं हुई थी. इनमें सोन तटवर्तीय इलाके बिंदौल, महुआर, परेव, मौदही, लेखनटोला, अमनाबाद व आनंदपुर सहित दर्जनों गांव हैं. सोन नदी के कारण इन गांवों में जल स्तर हमेशा ऊपर रहता था, लेकिन सोन में पानी नहीं रहने के कारण अब इन गांवों में पानी का संकट है.
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