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शौचालय न जाना पड़े, इसलिए पूरे दिन पानी ही नहीं पीतीं
कलेक्ट्रेट परिसर में महिलाओं को परेशानी अनुपम कुमारी पटना : सरकार एक ओर महिला सशक्तीकरण पर जो दे रही है. वहीं, दूसरी ओर महिला कर्मियों के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं है. हालत यह है कि शौचालय न जाने पड़े, इसके लिए कई महिला कर्मचारी दफ्तर में दिन-दिन भर पानी नहीं पीती हैं. पटना […]
कलेक्ट्रेट परिसर में महिलाओं को परेशानी
अनुपम कुमारी
पटना : सरकार एक ओर महिला सशक्तीकरण पर जो दे रही है. वहीं, दूसरी ओर महिला कर्मियों के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं है. हालत यह है कि शौचालय न जाने पड़े, इसके लिए कई महिला कर्मचारी दफ्तर में दिन-दिन भर पानी नहीं पीती हैं. पटना कलेक्ट्रेट स्थित विकास भवन में महिलाआें के लिए अलग शौचालय तो बने हैं, पर वे खराब पड़े हैं.
इससे उन्हें पुरुषों के शौचालय में जाना पड़ रहा है. विकास भवन में कुल 12 विभाग कार्यरत हैं. इनमें जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, जिला विकास शाखा, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण, जिला बाल संरक्षण इकाई, मनरेगा, आंगनबाड़ी, डीआरडीए, पंचायती राज, अल्पसंख्यक कल्याण समेत कुल 12 विभाग शामिल हैं. हर विभाग में तीन से चार महिलाएं कार्यरत हैं.
पर इनके लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं है.शौचालय जाने की नौबत न आये इसके लिए कई महिला कर्मचारी दफ्तर में दिन-दिन भर पानी नहीं पीती हैं. उन्हें पुरुषों के शौचालय में जाने में परेशानी होती है. जिला बाल सरंक्षण इकाई में सहायक निदेशक समेत कुल तीन महिलाएं कार्यरत हैं. इन्हें शौचालय जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. उन्हें पुरुष शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए भी पहले तल्ले पर जाना होता है. कर्मचारी नेहा बताती हैं कि सुबह से शाम बीत जाता है, पर शौचालय जाने का मन नहीं होता है. यही हाल महिला अधिकारियों काभी है.
तमाम परेशानी के बावजूद वे आवाज नहीं उठाना चाहती है. उन्हें डर है कि आला अधिकारियों के पास इस तरह की समस्याओं को रखा गया, तो बेवजह किसी परेशानी में न पड़ जाये. इसलिए वे चुपचाप समस्या झेलने को विवश हैं.
पूरे कलेक्ट्रेट परिसर की है यही स्थिति
यह स्थिति केवल विकास भवन की नहीं, बल्कि पूरे कलेक्ट्रेट परिसर की है. शिक्षा कार्यालय से लेकर निबंधन, डीएम जन शिकायत कोषांग, जिला परिषद, निर्वाचन और आपूर्ति शाखा आदि कार्यालयों में भी महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं है. कुछ विभागों में शौचालय बने भी हैं तो वे खराब पड़े हैं. इससे महिलाएं पुरुषों के शौचालय में जाने को विवश हैं.कई बार तो महिलाएं झिझक के कारण शौचालय जाती ही नहीं हैं. इस कारण यहां काम करनेवाली महिलाएं बीमार भी हो रही हैं. लेकिन, उनकी सुध लेनेववाला कोई नहीं है.
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