Advertisement
गलतफहमी में हैं भाजपा के नेता
चुनाव नतीजों से भाजपा पर संजय सिंह का पलटवार पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव में मात्र एक राज्य में जीत हासिल करके भाजपा के नेता ये समझ रहे हैं कि उन्होंने बाजी मार ली है तो वह गलतफहमी में हैं. उनको अपनी […]
चुनाव नतीजों से भाजपा पर संजय सिंह का पलटवार
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव में मात्र एक राज्य में जीत हासिल करके भाजपा के नेता ये समझ रहे हैं कि उन्होंने बाजी मार ली है तो वह गलतफहमी में हैं. उनको अपनी स्थिति दूसरे राज्यों में भी देखनी चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना गुनाह है. नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वह हर जगह प्रचार करने जायेंगे, इसमें गलत क्या है? लेकिन भाजपा नेताओं को ये सोचना चाहिए कि प्रधानमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 30 सभाएं की थी, यहां तक की उन्होंने प्रखंड तक को नहीं छोड़ा था.
पटना के बगल में नौबतपुर प्रखंड में नरेंद्र मोदी ने चुनाव सभा की थी, लेकिन करारी हार हुई. यहां तक कि नरेंद्र मोदी जहां-जहां भी गये, वहां भाजपा की हार हुई. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी को नीतीश कुमार के प्रभाव का अंदाजा तो बिहार के चुनाव में ही लग गया होगा, जब उनके सारे रणबांकुड़े बिहार के मैदान में धाराशायी हो गये. बिहार के चुनाव में भाजपा ने तारे जमीन पर उतारे थे. हर स्तर पर अपनी रणनीति के तहत केंद्रीय नेताओं से लेकर बॉलीवुड के कलाकारों तक को बिहार की जनता को रिझाने के लिए भाजपा ने दम खम लगा दिया था. संजय सिंह ने कहा कि देश में अब नीतीश कुमार के काफी लोकप्रिय हो चुके हैं, तभी तो नीतीश कुमार कहीं जाते हैं तो लोग उन्हें हाथों हाथ लेते हैं.
लोकतंत्र में जीत हार तो लगी रहती है, लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि लोकहित के मसले को कौन समझता है और उसे कौन लागू करता है. नीतीश कुमार एक बेहतर प्रशासक है और अपने शर्तों पर काम करते हैं. सुशील मोदी जो भी बयान दे रहे हैं, उसमें उनका भय दिख रहा है, वो आज से ही इस बात से परेशान हो गये कि जो भाजपा ने 2014 में खूंटा गाड़ा था वो 2019 तक उखड़ जायेगा. नीतीश कुमार के प्रभाव और राजनीतिक शक्ति से भलीभांति अवगत भाजपा के लोग इस बात से भी चिंतित है.
अन्य दलों की प्रतिक्रिया
चुनाव के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल की तुलना सोमालिया के साथ करने के कारण वहां की जनता की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी और केरल ने भाजपा के काॅरपोरेट सांप्रदायिक एजेंडे को सिरे से नकार दिया.
अवधेश कुमार, माकपा के राज्य सचिव
भाजपा को भले असम में सत्ता मिल गयी हो, लेकिन प बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुच्चेरी में उसकी उपस्थिति कमजोर है. देश का बड़ा हिस्सा भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं है.
कुणाल, भाकपा-माले राज्य सचिव
असम को छोड़ चार राज्यों में गैर भाजपा सरकार सत्ता में आयी है. चार राज्यों में गैर भाजपा दलों को आये बहुमत ने साबित कर दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संघ मुक्त भारत के आह्वान का सीधा असर है.
नागमणि,
पूर्व केंद्रीय मंत्री
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement