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सजा में संशोधन संभव, वापसी नहीं

शराबबंदी. राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव धवन ने रखा पक्ष शराब पीना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता. संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. बिहार सरकार ने शराबबंदी का नीतिगत निर्णय लिया है पटना : पटना उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव धवन ने […]

शराबबंदी. राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव धवन ने रखा पक्ष
शराब पीना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता. संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. बिहार सरकार ने शराबबंदी का नीतिगत निर्णय लिया है
पटना : पटना उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव धवन ने सोमवार को कहा कि शराबबंदी को लेकर सरकार ने जो नीति बनायी है, वह पूरी तरह फिट और कानून संगत है.
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने पूरी मुस्तैदी से अपना पक्ष रखा. धवन ने कहा कि शराब पीना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता. संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. बिहार सरकार ने शराबबंदी का नीतिगत निर्णय लिया है.
तो इतनी सख्त सजा क्यों : सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब उन्हें टोका और कहा कि आर्म्स एक्ट और अन्य दूसरे एक्ट में सजा 10 साल नहीं तो शराबबंदी में इतनी सख्त सजा और एक लाख का जुर्माना क्यों रखा गया.
कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार इसमें कोई संशोधन कर सकती है, तो राजीव धवन ने कहा कि संशोधन संभव है, लेकिन सरकार इसकी वापसी नहीं करेगी. इस संबंध में कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार को सरकार की ओर से सजा में संशोधन के मसले पर अपना रूख स्पष्ट किया जायेगा.
सोमवार को 11 बजे से सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से आये सीनियर वकील राजीव धवन ने बहस आरंभ की. उन्होंने कहा कि सरकार को इसकी परवाह नहीं कि उसके खाते में कितनी रकम आयी, सरकार को चिंता है कि आम आदमी का स्वास्थ्य ठीक रहे. सजा को लेकर कोर्ट ने जब सवाल उठाये, तो सरकार के वकील ने कहा, थैंक लार्ड. आइ एम ग्लैड, आइएम नाॅट इन बिहार.
मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से यह बताया जायेगा कि शराबबंदी को लेकर सरकार द्वारा पारित बिहार उत्पाद संशोधित अधिनियम 2015 में दोबारा कोई संशोधन करेगा या नहीं. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पांच अप्रैल से पूरे प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी को सख्ती से लागू कर दिया है. शराब पीने, पिलाने या बिक्री व बनाने में पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

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