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34 लाख गबन का आरोप, प्राथमिकी

धोखाधड़ी : एसबीआइ स्टाफ यूनियन के पूर्व महासचिव उमेश सिंह फरार पटना : एसबीआइ स्टाफ यूनियन के पूर्व महासचिव उमेश प्रसाद सिंह ने एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों की मदद से खाता का संचालन करते हुए खाता संख्या-11049752476 से 6 लाख, 77 हजार 851 रुपये की निकासी कर ली है. यह निकासी पटना मुख्य शाखा से […]

धोखाधड़ी : एसबीआइ स्टाफ यूनियन के पूर्व महासचिव उमेश सिंह फरार
पटना : एसबीआइ स्टाफ यूनियन के पूर्व महासचिव उमेश प्रसाद सिंह ने एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों की मदद से खाता का संचालन करते हुए खाता संख्या-11049752476 से 6 लाख, 77 हजार 851 रुपये की निकासी कर ली है.
यह निकासी पटना मुख्य शाखा से की गयी है. यह पैसा 18 दिसंबर, 2014 से 27 दिसंबर, 2014 के बीच निकला गया है. इसके अलावा एसबीआइ के जेसी रोड ब्रांच से खाता संख्या-10331727605 से 30 व 31 दिसंबर, 2014 को पुन: 5 लाख, 12 हजार 114 रुपये की अवैध निकासी तो की ही इसी ब्रांच में एसोसिएशन के फिक्स डिपोजिट खाता संख्या-30811991097 को तोड़ कर 22 लाख, 22 हजार 303 रुपये का बैंकर चेक बनवा कर अपने पास रख लिया. जब बैंक प्रबंधन काे यह ज्ञात हुआ, तो उसने इस खाते को फ्रीज कर दिया. कुल मिला कर लगभग 34 लाख रुपये गबन का आरोप उमेश प्रसाद िसंह पर है.
उमेश पर दर्ज की गयी प्राथमिकी : दरअसल बैंक एसोसिएशन के एक अधिकारी प्रिय रंजन की ओर से गांधी मैदान में आवेदन देकर आरोपित उमेश प्रसाद सिंह पर भादवि की धारा-408/420 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. थानाध्यक्ष निखिल कुमार ने प्राथमिकी की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है. सूत्रों के अनुसार प्राथमिकी की खबर लगते ही आरोपित उमेश प्रसाद सिंह फरार हो गये है.
उमेश नवंबर, 2014 में बैंक सेवा से हो चुके है बरखास्त
उमेश प्रसाद सिंह दुष्कर्म के प्रयास में बैंक सेवा से 15 नवंबर, 2014 को बरखास्त हाे चुके हैं. बरखास्तगी के बाद एसोसिएशन के खाते से नाजायज ढंग से 34 लाख, 12 हजार 268 रुपये निकाल लिये. उन्होंने यह राशि बैंक की दो शाखाओं से की है. सूत्रों के अनुसार जब उमेश प्रसाद सिंह मुंगेर ब्रांच में विशिष्ट सहायक के पद पर तैनात थे, तभी उन पर बैंक में कार्यरत एक दलित महिलाकर्मी से दुष्कर्म के प्रयास का मुकदमा वहां के हरिजन थाने में दर्ज हुआ था. जब यह मामला अदालत में चल ही रहा था, तभी उमेश सिंह पूर्व महासचिव जेएन सिंह की जगह पर महासचिव बन गये और अपनी पोस्टिंग पटना मुख्य शाखा में करा ली.
इस बीच मुंगेर मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया. उमेश प्रसाद सिंह को दो वर्ष की कारावास और 2000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी गयी. जिसके बाद 15 नवंबर, 2014 को उमेश प्रसाद सिंह को बैंक की सेवा से बरखास्त कर दिया गया. इसके बावजूद वह जबरन महासचिव की कुरसी पर तैनात रहें. इसके बाद कुछ गड़बड़ी और घोटाले की आशंका से बैंक के मंडल विकास पदाधिकारी ने अपने पत्रांक एचआर-आइआर-एकेएम/3061 के द्वारा एसोसिएशन का खाता उमेश प्रसाद सिंह की ओर से किये जाने पर रोक लगा दी थी.

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