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अरहर दाल 120 रुपये से अधिक होने पर राज्य सरकार जिम्मेवार : पासवान
पटना : केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण सह उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि अरहर समेत अन्य सभी दालों की कीमतें इस बार बढ़ने नहीं दी जायेंगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने जमाखोरी रोकने से लेकर अन्य सभी स्तरोंपर व्यापक तैयारी की है. राज्य सरकार को 60 रुपये की दर से […]
पटना : केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण सह उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि अरहर समेत अन्य सभी दालों की कीमतें इस बार बढ़ने नहीं दी जायेंगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने जमाखोरी रोकने से लेकर अन्य सभी स्तरोंपर व्यापक तैयारी की है. राज्य सरकार को 60 रुपये की दर से अनमिलिंग अरहर दाल मुहैया कराया जा रहा है.
मिलिंग या छंटाई, परिवहन समेत तमाम खर्चों को जोड़ कर अरहर दाल की कीमत 120 रुपये प्रति किलो से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर इससे ज्यादा कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी. दाल की कीमत बढ़ने का मतलब है कि राज्य सरकार इसकी जमाखोरी रोकने में पूरी तरह नाकामयाब रही है. पटना स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में पत्र लिखा है. इसमें दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस उपाय करने के सुझाव दिये गये हैं.
मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों को केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने अपने-अपने यहां से दाल की डिमांड या जरूरत भेजने के लिए कहा था. बिहार को छोड़कर अन्य कई राज्यों ने डिमांड भेज दी है, जबकि राज्य के मुख्य सचिव, संबंधित विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में पत्र भी लिखा जा चुका है. वाबजूद इसके अभी तक राज्य की तरफ से कोई डिमांड नहीं आना घोर लापरवाही को बताता है.
उन्होंने कहा कि इस बार देश में अरहर दाल की पैदावार 173 लाख टन होगी, जबकि खपत 235 लाख टन है. इस कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार बफर स्टॉक तैयार कर रही है. इसके लिए एक लाख टन दाल की खरीद का काम शुरू हो गया है. पहली बार 26 लाख टन की खरीद सीधे किसानों से होगी. 26 लाख टन का आयात किया जायेगा.
दाल की कीमत नियंत्रित करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण फंड भी बनाया गया है, जिसमें 900 करोड़ रुपये दिये गये हैं.इस फंड की मदद से दाल की कीमत को केंद्र सरकार किसी तरह से बढ़ने नहीं देगी. लेकिन, राज्य सरकार को हर तरह से अपने स्तर पर प्रयास करना होगा. राज्य की तरफ से प्रयास नहीं किया गया, तो दाल की कीमत नियंत्रित नहीं रह पायेगी.
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