पटना : दरभंगा में तैनात सिपाही लखींद्र चौधरी के इलाज में होने वाले पूरे खर्च का पूरा भुगतान पुलिस मुख्यालय व राज्य सरकार की ओर से किया जायेगा. प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय रवींद्र कुमार ने शनिवार को जिला पुलिस अधीक्षक, दरभंगा को निर्देश दिया कि कोमा में पड़े सिपाही के इलाज की बेहतर व्यवस्था करें.
उन्होंने कहा कि सरकारी नियमानुसार घायल सिपाही के इलाज में हुए खर्च की राशि की प्रतिपूर्ति(रिबंर्समेंट) की जायेगी. इस संबंध में जिला पुलिस बल से प्राप्त प्रस्ताव को राज्य
सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा
जायेगा. 20 हजार रुपये तक की प्रतिपूर्ति का अधिकार पुलिस अधीक्षक को प्राप्त है, इसके साथ ही दो लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति का अधिकार गृह विभाग के पास है, इससे अधिक राशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के स्तर से की जाती है.
पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिपाही के घायल होने के बाद राजेश्वर नर्सिग होम में भरती कराया गया था. फिर, उसे पीएमसीएच रेफर किया गया था जहां एक वर्ष तक इलाज चला. इसके बाद पीएमसीएच से नयी दिल्ली स्थित एम्स के लिए रेफर कर दिया गया.
वहां ओपीडी में लंबे समय तक इलाज चला. बाद में उसे वापस दरभंगा लाया गया. पुलिस प्रशासन के निर्देश पर स्थानीय पुलिस लाइन में आवास आवंटित किया गया, जहां लखींद्र चौधरी अभी भी अचेतावस्था में है. जब-जब घायल सिपाही का ट्रांसफर हुआ, मेडिकल ग्राउंड पर ट्रांसफर को स्थगित किया गया. पुलिस लाइन में पुलिस डॉक्टर की देखरेख में इलाज कराया जा रहा है.
आइजी, दरभंगा अरविंद पांडे ने सात वर्षो से कॉमा में पड़े सिपाही लखींद्र चौधरी के अनुसूचित जाति समुदाय से आने के कारण अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून के तहत पांच लाख रुपये के अनुदान देने का प्रस्ताव तैयार करने निर्देश जिला पुलिस अधीक्षक,दरभंगा को दिया है. इस प्रस्ताव के अनुरूप एसपी, दरभंगा द्वारा जिलाधिकारी दरभंगा के पास प्रस्ताव सोमवार को भेज दिया जायेगा.
कोट
सिपाही सरकारी ड्यूटी के दौरान घायल होता है, कुछ दिनों तक अधिकारियों द्वारा उसकी जानकारी ली जाती है, फिर भूल जाते हैं. ऐसे में पूरे पुलिस बल का मनोबल कमजोर होता है. पुलिस मुख्यालय घायल पुलिसकर्मियों के इलाज की मुक्कमल व्यवस्था करें
मृत्युंजय कुमार, अध्यक्ष, बिहार पुलिस एसोसिएशन