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चार में से तीन अंचलों से नहीं उठ रहा कचरा

बांकीपुर, कंकड़बाग के बाद अब एनसीसी अंचल में भी कचरा उठाव ठप हुआ पटना : राजधानी एक बार फिर से कचरामय होने की राह पर है. मुख्य सड़कों को छोड़ दें, तो शहर के तीन चौथाई हिस्से में कचरा उठाव लगभग ठप हो गया है. नगर निगम के बांकीपुर और कंकड़बाग अंचल में निजी ट्रैक्टर […]

बांकीपुर, कंकड़बाग के बाद अब एनसीसी अंचल में भी कचरा उठाव ठप हुआ
पटना : राजधानी एक बार फिर से कचरामय होने की राह पर है. मुख्य सड़कों को छोड़ दें, तो शहर के तीन चौथाई हिस्से में कचरा उठाव लगभग ठप हो गया है. नगर निगम के बांकीपुर और कंकड़बाग अंचल में निजी ट्रैक्टर मालिकों की हड़ताल से कूड़ा उठाने का काम बाधित है.
शुक्रवार से इसमें नूतन राजधानी अंचल का भी नाम जुड़ गया है. ऐसे में अब नगर निगम के चार अंचलों से तीन में कचरा उठाव लगभग बंद हो गया है.
नूतन राजधानी अंचल की गिनती राजधानी पॉश इलाके में होती है. इस अंचल में सबसे ज्यादा वीवीआइपी मूवमेंट होता है. इस अंचल के 68 ट्रैक्टर मालिकों में से ज्यादातर
के शुक्रवार से हड़ताल पर चले जाने के कारण वार्ड के कूड़ा प्वाइंटों से कचरा उठाव नहीं हुआ. अधिकतर वार्डों के कूड़ा प्वाइंटों पर कचरे का ढेर लगा है. मुख्य सड़कों से किसी प्रकार कचरे का उठाव किया गया, लेकिन गलियों में कचरे का अंबार लगना शुरू हो गया है.
वहीं, अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी विशाल आनंद का दावा है कि आधे से ज्यादा ट्रैक्टर आये थे, जिनसे कचरा का उठाव किया गया. इसके साथ ही काॅम्पैक्टर से उठाव किया जा रहा है. अंचल में ट्रैक्टर मालिकों ने गुरुवार को कार्यपालक पदाधिकारी को चेतावनी दी थी कि टेंडर की सेवा-शर्त में बदलाव नहीं किया गया, तो शुक्रवार से कचरा उठाव कार्य नहीं करेंगे.
ऐसे बनाया दबाव
ट्रैक्टर मालिकों ने निगम प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए एनसीसी में हड़ताल करने का यह स्टेप उठाया है. उनका कहना है कि सफाई और नाला उड़ाही कार्य में लगे ट्रैक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है. बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर ही तीन दिनों से कचरा उठाव ठप है.
नहीं दिया वर्क आॅर्डर
यह समस्या निगम की अदूरदर्शिता का परिणाम है. स्थायी समिति व निगम बोर्ड ने बैठक में दो महीने पहले ही 155 छोटे वाहन खरीदने का निर्णय लिया था, लेकिन वर्क ऑर्डर नहीं दिया गया.
आठ घंटे का हो भुगतान
ट्रैक्टर मालिकों का कहना है कि टेंडर की सेवा शर्त में संशोधन हो. उनकी मानें तो पहले आठ घंटे के हिसाब से भुगतान का प्रावधान था. इसके अनुसार डीजल ट्रैक्टर मालिकों को ही देना था. अब घंटा के साथ जीपीएस के सत्यापन के अनुरूप भुगतान किया जायेगा. सेवा शर्त में बिना अधिसूचना के निगम प्रशासन डीजल दे रहा है.
शर्तों से ही लेंगे काम
निगम का कहना है कि ट्रैक्टर वाले अज्ञानता दिखा रहे हैं. टेंडर में ही रेट तय किया गया था. इसके अनुसार 165 रुपये प्रति घंटा की दर से भुगतान करना है. पहले पांच सौ रुपया प्रति दिन के हिसाब से दिया जाता था.

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