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दस्तावेज लेखकों की बरखास्तगी निंदनीय

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य के 32 हजार डीड राइटर्स की सामूहिक बरखास्तगी और पासी समाज के लोगों की गिरफ्तारी जैसी मनमानी कार्रवाई से उत्पाद एवं निबंधन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने हालत इमरजेंसी से भी खराब कर दी है. मुख्यमंत्री […]

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य के 32 हजार डीड राइटर्स की सामूहिक बरखास्तगी और पासी समाज के लोगों की गिरफ्तारी जैसी मनमानी कार्रवाई से उत्पाद एवं निबंधन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने हालत इमरजेंसी से भी खराब कर दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हिम्मत नहीं है कि वे निरंकुश प्रधान सचिव को हटा कर जनता कोराहत दिलाएं.
मोदी ने कहा कि दस्तावेज लेखकों ने अपनी मांगों पर कई बार सरकार को ज्ञापन देने के बाद 31 मार्च से हड़ताल शुरू की. उन्हें बिना नोटिस दिये बरखास्त कर दिया गया. क्या लोकतंत्र में कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं है. दूसरों को तानाशाह बताने वाले नीतीश कुमार बतायें कि किस कानून के तहत हजारों लोगों को एक झटके में बरखास्त कर दिया गया. केके पाठक जब बियाडा के प्रबंध निदेशक थे तब उन्होंने अपने सनकी फैसलों से उद्योगों को तबाह कर दिया था.
राज्य में ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं होने पर भी पासी समाज के सैंकड़ों लोगों को जेलों में डाल दिया गया. बिहार को पुलिस छावनी में बदल दिया गया. अवैध शराब की बिक्री जारी है जबकि शराबबंदी के नाम पर निरपराध लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री को तुगलकी फरमान जारी करने वाले प्रधान सचिव के मानसिक स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए और उन्हें उत्पाद एवं निबंधन विभाग से हटा कर उनके तमाम गैरकानूनी आदेशों को रद्दकरना चाहिए.

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