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मुंगेर में बंदूक व औरंगाबाद में खुलेगा कालीन उद्योग

पटना : ब्रिटिश काल से बंदूक फैक्टरी के लिए मशहूर मुंगेर में एक बार फिर सिंगल और डबल बैरल वाली एक व दो नाली गन का निर्माण शुरू होगा. उद्योग विभाग ने मुंगेर में गन फैक्टरी खोलने की सहमति दे दी है. विभाग ने मुंगेर के जिला उद्योग महाप्रबंधक को फैक्टरी खोलने के लिए डिटेल […]

पटना : ब्रिटिश काल से बंदूक फैक्टरी के लिए मशहूर मुंगेर में एक बार फिर सिंगल और डबल बैरल वाली एक व दो नाली गन का निर्माण शुरू होगा. उद्योग विभाग ने मुंगेर में गन फैक्टरी खोलने की सहमति दे दी है.
विभाग ने मुंगेर के जिला उद्योग महाप्रबंधक को फैक्टरी खोलने के लिए डिटेल सर्वे रिपोर्ट तैयार कर शीघ्र ही मुख्यालय को समर्पित करने को कहा है. मुंगेर में गन फैक्टरी के अलावा औरंगाबाद के पुराने कालीन उद्योग को भी उद्योग विभाग जीवित करेगा. औरंगाबाद में कालीन उद्योग को जीवित करने के लिए उद्योग विभाग ने 40 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है.
औरंगाबाद और मुंगेर में कालीन और बंदूक उद्योग मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना के तहत खुलेंगे. औरंगाबाद की कालीन का कभी देेश-विदेश में डंका बजता था, किंतु धीरे-धीरे वहां के कालीन उद्योग मृत प्राय होते चले गये. 2010-11 तक औरंगाबाद में 47 कालीन उद्योग चल रहे थे, किंतु पूंजी व विद्युत संकट के कारण वे भी बंद होते चले गये. फिलहाल आधा दर्जन ही कालीन उद्योग औरंगाबाद में चल रहे हैं. मुख्यमंत्री कलस्टर योजना से औरंगाबाद के इस प्राचीन उद्योग को पुर्नजीवित किया जायेगा. औरंगाबाद कालीन उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के लिए रेशम निदेशालय कॉलीन बुनकरों को प्रशिक्षण भी दे रहा है.
मुंगेर की बीमार गन फैक्टरियों की भी रौनक लौटेगी. मुंगेर में बंदूक निर्माण का काम 2012-13 तक 34 यूनिटों में हो रहा था.
बंदूक फैक्टरियां वहां कोआॅपरेटिव सोसायटियां चलाती रही हैं. वहां की मशहूर बंदूक फैक्टरी मुंगेर कोऑपरेटिव फैक्टरी को तीन वर्ष पूर्व बंद कर दिया गया था. बंदी के इस फैसले के खिलाफ फैक्टरी के कर्मचारी संघ ने हाइकोर्ट में अपील की थी.
हाइकोर्ट ने दो माह पूर्व सरकार को बंदूक फैक्टरी खोलने की अनुमति देने का आदेश जारी किया है. मुंगेर में सालाना आठ से 10 हजार एक व दो नाली बंदूकों के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है.

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