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10 फीसदी दवा भी नहीं बची है शहर के सरकारी अस्पतालों में

पटना : एमसीएच सहित शहर के अस्पतालों में मरीजों को एक बार फिर दवाओं की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है. अस्पतालों में जितनी दवाएं होनी चाहिए, उसके मुकाबले 10 फीसदी दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. नतीजतन मरीज और उनके परिजनों को ग्लव्स, दवा, सूई, काॅटन व स्लाइन तक बाहर से खरीद कर लाना पड़ […]

पटना : एमसीएच सहित शहर के अस्पतालों में मरीजों को एक बार फिर दवाओं की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है. अस्पतालों में जितनी दवाएं होनी चाहिए, उसके मुकाबले 10 फीसदी दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं.
नतीजतन मरीज और उनके परिजनों को ग्लव्स, दवा, सूई, काॅटन व स्लाइन तक बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है. अस्पतालों में जो दवाएं बच गयी हैं, उनमें एंटीबायोटिक, गैस, बीपी व बुखार की दवाएं शामिल हैं. इसके अलावा कोई दवा नहीं मिल पा रही है. अधिकारियों की मानें, तो पीएमएसीएच में अब महज एक माह की दवा बची हुई है. उसमें भी ओपीडी में महज सात प्रकार की दवाएं ही मिल रही हैं. शहरी व पीएचसी अस्पतालों में भी दवा का स्टॉक केवल दो माह का बचा हुआ है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक दवाओं की खरीद करने के लिए प्राधिकृत बीएमएसआइसीएल ने 257 तरह की दवाओं की खरीद के लिए टेंडर किया है. इसका फाइनेंसियल बिड खुलने वाला है. अगर इस बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी भी हो जायेगी, तो दवा इतनी दवा मंगवाने में पांच माह से अधिक का समय लगेगा. उस वक्त तक सभी अस्पतालों में दवाइयां खत्म हो जायेंगी.
पीएमसीएच ने भी 250 तरह के मेडिकल व सर्जिकल आइटम खरीदने के लिए टेंडर किया है. लेकिन दवा मिलने में अभी पांच माह का समय मिलेगा. फिलहाल अस्पताल को चलाने के लिए पहले से मौजूद दवाओं से काम चलाया जा रहा है, लेकिन ओपीडी के मरीजों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है. पांच दिन पहले भी पीएमसीएच से 20 दवाओं की सूची कॉरपोरेशन को भेजी गयी थी, लेकिन अभी तक उसका वर्क आॅर्डर ही फाइनल नहीं हो पाया है.
किस अस्पताल में कितनी दवाएं िफलहाल उपलब्ध
अस्पताल होनी चाहिए अभी हैं
पीएमसीएच ओपीडी में 64, इमरजेंसी में 140 दोनों मिला कर 112
न्यू गार्डिनर रोड इंडोर में 33 व ओपीडी 133 दोनों को मिला कर 24
राजेंद्र नगर अस्पताल इंडोर में 33 व ओपीडी 133 दोनों मिला कर 17
गर्दनीबाग अस्पताल इंडोर में 33 व ओपीडी 133 दोनों मिला कर 18
चार माह से नहीं हैं ये दवाएं
इंजेक्शन डरसोलीन, इंजेक्शन सेबड्रैकजोन, एलवुमिन, मिकासीन, रेबप्राजोल, डीएनएस (फ्लूड), आरएल (फ्लूड), ग्लव्स, आइवी सेट, एमाक्सीन क्लेव, एजीथ्रोमाइसिन, डाइक्लोफेमिक जोडियन, डायक्लोफेनिक जैसी दवाएंं पीएमसीएच में मौजूद नहीं हैं. अगर हैं, तो वह मरीजों को नहीं दी जाती है. मरीजों को सभी दवाइयां बाहर से लेनी होती है.
घोटाले के बाद नहीं हुई खरीदारी
दवा घोटाले के बाद से लेकर अब तक दवा की
बड़ी खरीद नहीं हुई है. इस कारण मरीजों को इमरजेंसी में भी दवा बाहर से खरीद का लाना पड़ रहा है. बीएमएसआइसीएल के पूर्व एमडी
प्रवीण किशोर के हटने के बाद नये एमडी लगभग छह माह तक रहे और दवा खरीद को लेकर बस यही कहते रहे कि बहुत जल्द होगी. अचानक से स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कार्यभार संभाला और उनका कहना था कि दवा खरीद की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गयी है और बहुत जल्द अस्पतालों में दवा होगी. इसके बाद प्रधान सचिव फिर बदल गये और विभाग से तीन लोगों को दवा खरीदने के लिए लगाया गया. लेकिन प्रक्रिया तक पूरी नहीं हो पायी.
अभी अस्पतालों में दवाइयां भेजी गयी हैं, लेकिन इसमें अधिकतर दवाइयां मौसमी बीमारियों से जुड़ी हैं. ऐसे में ओपीडी में दवाओं की संख्या कम हो सकती है. यदि दो माह बाद बीएमएसआइसीएल से दवाओं की सप्लाई नहीं होगी, तो पीएचसी तक में दवाइयां खत्म हो जायेंगी.
डॉ गिरींद्र शेखर सिंह, सिविल सर्जन, पटना
इंडोर में अभी दवाइयां मौजूद हैं. ओपीडी में सात तरह की दवाइयां हैं. दवा खरीदने को लेकर टेंडर किया गया हैं. बहुत जल्द दवाइयां अस्पताल में पहुंच जायेंगी. इमरजेंसी में गंभीर मरीज आते हैं. ऐसे में कभी-कभी दवाइयां बाहर से मंगवानी पड़ती है, लेकिन इंडोर में अभी एक माह की दवा है और काॅरपोरेशन भी कुछ दवाइयां भेज रही हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच

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