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कन्हैया ने कहा, काम करेंगे तो जनता आंखों पर बिठायेगी
पटना : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष और चर्चित छात्र नेता कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा है कि काम कीजियेगा तो जनता आंखों पर बिठायेगी अन्यथा किनारे फेंक देगी. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तसवीर रखने के पीछे की असलियत भी जनता समझेगी. अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर […]
पटना : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष और चर्चित छात्र नेता कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा है कि काम कीजियेगा तो जनता आंखों पर बिठायेगी अन्यथा किनारे फेंक देगी. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तसवीर रखने के पीछे की असलियत भी जनता समझेगी. अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने खचाखच भरे पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में सभा को संबोधित किया.
एआइएसएफ और एआइवाइएफ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ज्यादा कन्हैया-कन्हैया नहीं कहिये नहीं तो हमें मोदी-मोदी सुनायी पड़ने लगेगा. उन्होंने कहा कि आज सुबह अखबार पढ़ते हुए नजर पड़ी कि लालू जी को पैर छूने पर भी खबर बन गयी है जो लोग संस्कृति की ठेकेदारी की बात करते हैं वे पैर छूने पर क्यों ऐतराज कर रहे हैं. हमारी संस्कृति में बड़ों बुजुर्गों का सम्मान की बात कही गयी है. जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि गरीब के बेटे को हवाई जहाज से चलने का किराया कौन दे रहा है. उनको आज की तसवीर खींच कर भेज देनी चाहिए कि जब आप जनता की बात करते हैं तो जनता भी आपको सहयोग समर्थन के लिए तैयार रहती है.
दूसरी बात कि मुंबई के मजदूरों ने संदेश भिजवाया कि वे दस हजार रूपये फाइन भरने के लिए चंदा इकट्ठा हुए हैं. जब मैंने कहा कि फाइन मुझे नहीं भरने हैं तो उन्होंने कहा कि वे लीगल लड़ाई लड़ने के लिए खर्चा देंगे. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को मात्र एक वोट से जोड़कर देखना नहीं चाहिए बिहार में सामंतवाद को कड़ी चुनौती दिया है. इसी बिहार की धरती पर सांप्रदायिकता का रथ रूका था और मोदी का भी रथ यहां फंस गया है. बिहार में रणवीर सेना के खिलाफ लोग संघर्ष किया है. धनकुबेरों के घर पैसा बरसता है.
अमीर और अमीर बन जाता है जबकि गरीब गरीब ही बना रहता हैं. एआइएसएफ का बेटा आइएएस बनना चाहता है लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है क्योंकि खेती घाटे का सौदा है. मोदी जी ने चुनाव से पूर्व 15 लाख रुपये देने का वादा किया था अगले चुनाव तक 15 लाख नहीं आया तो अपनी नहीं आयेंगे मोदी जी. केंद्र सरकार गाढ़ी कमाई के पैसे आम लोगों के हितों में नहीं खर्च कर चंद उद्योगपतियों के लिए खर्च कर रही है. केंद्र सरकार यह आरोप लगा रही है कि जवाहर लाल नेहरू विवि प्रतिष्ठित संस्थानों में पीएचडी के लिए दी जानेवाली फेलोशिप जनता के टैक्स की बरबादी है.
यह एक अजीव तर्क है कि जहां गरीब और हासिये पर खड़े छात्र-छात्राओं को उच्चतर की डिग्री के लिए दिए जानेवाली फेलोसीप को सरकार पैसे की बर्बादी बता रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि टैक्स की बरबादी तो वह कर रहे हैं जो लाखों रुपये का सूट पहनकर पूरी दुनिया का सैर करते हैं. उन्होंने कहा कि किंगफिशर का मालिक विजय माल्या जनता की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ लेकर विदेश चले जाते हैं. विजय माल्या और उन जैसे ऐसे कई उद्योगपति जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे डकार जाते हैं, और सरकार कुछ नहीं कर पाती.
उन्होंने कहा कि खेत-खलिहान में काम करने वाले मजदूर भले ही भोजपुरी या मगही बोलते हैं और कुछ गंदा कपड़ा पहनते हैं लेकिन फैक्ट्री और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले मजदूरों का पोषाक अलग होता है वे पैंट, शर्ट और टाई में दिखते हैं तथा अंगरेजी भी बोलते हैं, लेकिन उनकी हालत भी मजदूर जैसी ही हैं वह इन दोनों श्रेणियों के मजदूरों की हालत में सुधार की मांग करते हुए केंद्र सरकार को बड़ी-बड़ी बातों के करने की बजाए आम लोगों की समस्याओं का हल खोजना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवाद और ब्राह्नण में फर्क है. ऊंच -नीच का भेदभाव करने वालों को ब्राह्नणवादी कहा जाता है अगर निचली जाति के लोग भी यदि जातिवाद को बढ़ावा देते हैं, तो वो भी ब्राह्नणवादी है.
उन्होंने कहा कि जो लोग अंग्रेजों की चापलूसी करते थे और देश के सपूतों की मुखबिरी करते थे वे आज देशभक्त बनते घूम रहे हैं. जबकि जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया उन्हें देशद्रोही करार दें दी है. वे एआइएसएफ के सदस्य हैं जिसने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था. एआइएसएफ नारा है कि ‘राष्ट्रपति हो या चपरासी की हो संतान सब को शिक्षा एक समान’ इस नारे का मतलब साफ है कि सबाके एक समान शिक्षा मिलनी चाहिए.
शनिवार को जब वे बिहार के मुख्यमंत्री से मिल रहे थे तब उनसे मांग किया कि समान स्कूल प्रणाली सूबे में लागू किया जाये. तभी कोई कायाकल्प हो सकता है. जहां से आप आएं है उसी पाठशाला को बंद कर दिए. इसलिए छात्र संघ चुनाव नियमित तौर पर है. इससे पूर्व सभा को संबोधित करते हुए एआइएसएफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि आपकी परिस्थिति में छात्र-युवाओं को मतभेद किनारे कर एक साथ आना होगा और देश अंदर फासीवादी हुकूमत के अपने हितों की रक्षा के लिए झकझोरना होगा जेएनयू सबके न्याय की बात करता है इसलिए जेएनयू से संघ परिवार को चिढ़ है.
कन्हैया के गाईड प्रो एसएन मालाकार ने कहा कि स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया पूंजीवादी चालाकी है. लाभ का निजीकरण और हानि के सामाजीकरण के षडयंत्र को समझना होगा. उन्होंने कहा कि कन्हैया जैसे विद्यार्थी ने उनका मान बढ़ाया हैं कन्हैया के प्रारंभिक दिनों में मार्क्सवाद की शिक्षा देनेवाले शिवशंकर शर्मा ने कहा कि एआइएसएफ संघर्ष के राह पर है. रोहित बेमुला की हत्या के बाद देश में दो खेमा बन गया एक न्याय और दूसरे अन्याय का रोहित के हत्यारों स्मृति ईरानी और छात्र संघ की बात करनी चाहिए.
देशद्रोही कौन है और देशभक्त कौन है इस सवाल को उठाने के पहले देखना होगा कि कौन आजादी के आंदोलन में था और कौन नहीं. एआइएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने आज से पूर्व और बाद ने आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि छात्रों की ताकत विखंडित होने से सत्ता मनमानापन बढ़ा है. कन्हैया कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ते हुए दो वार संगठन कॉलेज इकाई के अध्यक्ष से आज वे जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष हैं.
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