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मरीज बढ़े, पर दवाएं घटीं

पटना : पीएमसीएच में दवाइयों की कमी अब भी है. मरीजों के पुरजे पर मिलनेवाली दवाइयों की संख्या बढ़ने की जगह, घटती जा रही है. आउटडोर मरीजों को जहां पिछले दिनों 19 दवाइयां मिलती थीं, वह अब घट 14 कर रह गयी हैं. प्रावधान के मुताबिक आउटडोर मरीजों को 99 जीवनरक्षक दवाएं मिलनी चाहिए, पर […]

पटना : पीएमसीएच में दवाइयों की कमी अब भी है. मरीजों के पुरजे पर मिलनेवाली दवाइयों की संख्या बढ़ने की जगह, घटती जा रही है. आउटडोर मरीजों को जहां पिछले दिनों 19 दवाइयां मिलती थीं, वह अब घट 14 कर रह गयी हैं.

प्रावधान के मुताबिक आउटडोर मरीजों को 99 जीवनरक्षक दवाएं मिलनी चाहिए, पर यह संख्या कभी 50 के करीब नहीं पहुंची. ओटी में ऑपरेशन के लिए 48 तरह की दवाओं व उपकरण को शामिल किया गया है, लेकिन यहां भी एक ही समस्या हैं. मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचते हैं, तो सजर्री का सारा सामान परिजनों से मंगवाया जाता है. वहीं इमरजेंसी में मिलनेवाली दवाओं की संख्या 107 से घट कर 35 हो गयी हैं.

* दवाइयां पीएमसीएच के काउंटर पर नहीं मिलती हैं. बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है. अस्पताल में मुफ्त दवाओं की सूची में 172 जीवनरक्षक दवाइयां शामिल हैं, पर कभी ये उपलब्ध नहीं होते हैं.
अनिल कुमार, मरीज

* दवाओं की कमी को दूर करने के लिए एचओडी के साथ बैठक भी की गयी है. बहुत जल्द ओपीडी व इमरजेंसी में आनेवाले मरीजों को पूरी दवाइयां मिलेंगी.
डॉ अर्जुन सिंह, अस्पताल अधीक्षक

* परिवार नियोजन में अस्पताल फेल
पटना : बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम तो बना दिया, लेकिन इसे सही ढंग से अमली जामा नहीं पहना सकी. हालत यह है कि शहर के अस्पतालों को परिवार नियोजन के लिए दिया गया लक्ष्य शायद ही किसी ने पूरा किया है.

राजेंद्र नगर अस्पताल की हालत इस मामले में और भी खस्ता है. यहां 2400 लोगों का परिवार नियोजन किया जाना था, लेकिन हालत यह है कि यहां अभी तक खाता भी नहीं खुला है. इससे आप इस योजना की हकीकत का अंदाजा लगा सकते हैं. सूत्रों की मानें तो दरअसल हकीकत यह है कि इस योजना में डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक रुचि नहीं ले रहे हैं.

वहीं जहां इस योजना पर थोड़ा भी काम हुआ है वहां महिलाएं ही आगे रही हैं. परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत महिला व पुरुष दोनों में से एक परिवार नियोजन को अपना सकता है, लेकिन इसके लिए महिलाओं को ही आगे किया जाता है. क्योंकि मर्दो को लगता है कि वह नसबंदी करायेंगे, तो नपुंसक हो जायेंगे.

2012-13 के दौरान पटना जिले में महज 200 पुरुषों ने ही नसबंदी करायी है. वहीं महिलाओं की बात करें, तो आंकड़ा साढ़े पच्चीस हजार के करीब है. शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन अभियान को सौ प्रतिशत चलाने के लिए आशा कार्यकर्ता की जरूरत है, ताकि आस-पास के लोगों को जागरूक किया जा सके. ग्रामीण क्षेत्रों में आशा के कारण कुछ जगहों पर परिवार नियोजन सौ प्रतिशत तक पहुंचा.

* परिवार नियोजन कार्यक्रम सरकार की ओर से पूरे पीएचसी में चलाया जा रहा है, इसके लिए सरकार की ओर से छह सौ रुपये भी दिये जाते हैं. बावजूद इसके जागरूकता की कमी के चलते लोग सेंटर तक नहीं पहुंच पाते हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, सिविल सजर्न, पटना

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