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केंद्रीय प्रक्षेत्र की बिजली पर बिहार कब तक निर्भर रहेगा
पटना : आखिर केंद्रीय प्रक्षेत्र की बिजली पर बिहार कब तक निर्भर रहेगा? बिहार सरकार से उक्त सवाल गुरुवार को पूर्व उपमुख्य मंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने पूछा है. उन्होंने पूछा है कि अब तक कुल कनेक्शन का मात्र एक प्रतिशत ही कृषि कार्य के लिए क्यों दिया गया है? बिहार का अपना […]
पटना : आखिर केंद्रीय प्रक्षेत्र की बिजली पर बिहार कब तक निर्भर रहेगा? बिहार सरकार से उक्त सवाल गुरुवार को पूर्व उपमुख्य मंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने पूछा है. उन्होंने पूछा है कि अब तक कुल कनेक्शन का मात्र एक प्रतिशत ही कृषि कार्य के लिए क्यों दिया गया है?
बिहार का अपना चौंसा, कजरा और पीरपैंती का बिजली कारखाना कब चालू होगा? मोदी ने सीएम से बिजली को ले कर कई सवाल पूछे हैं. उन्होंने पूछा कि राज्य के 23 हजार 574 गांवों का अभी तक गहन विद्युतीकरण क्यों नहीं हो पाया है? 1. 49 करोड़ बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन क्यों नहीं मिल पाया है? दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य ज्योति योजना के तहत कृषि और घरेलू बिजली फीडरों को अलग करने का काम अब तक क्यों नहीं प्रारंभ हो पाया है? घरों में 24 घंटे बिजली देने की योजना का क्या हुआ? ट्रांसफाॅर्मर लागने व एपीएल कनेक्शन के लिए बाहर की कोई पावर कंपनी बिहार क्यों नहीं आ रही है?
राज्य के बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन के लिए केंद्र सरकार प्रति परिवार तीन हजार रुपये दे रही है, मगर राज्य सरकार ऐसा प्रचार कर रही है कि कनेक्शन का खर्च वह खुद उठा रही है. प्रदेश के 1.49 करोड़ परिवारों को आज तक बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जा सका है. पिछले एक साल में मात्र आठ लाख परिवारों को ही बिजली कनेक्शन दिया गया है. क्या इस गति से सभी बीपीएल परिवारों को बिजली कनेक्शन देने में 25 साल नहीं लगेंगे? राज्य के मात्र 53 हजार किसानों के पास ही कृषि कार्य के लिए बिजली कनेक्शन हैं.
जो कुल कनेक्शन लेने वालों का मात्र एक प्रतिशत है. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य ज्योति योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 5,856 करोड़ रुपये की स्वीकृति दिये जाने के बावजूद कृषि और घरेलू फीडर को अलग करने के लिए निविदा की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं की जा सकी है.
ट्रांसफाॅर्मर लगाने के लिए निविदा निकाले जाने के बावजूद कोई कंपनी नहीं आयी. वहीं, एपीएल परिवारों को बिजली कनेक्शन देने के लिए निविदाकी तिथि बढ़ानी पड़ी है, क्योंकि राज्य सरकार के रवैये के कारण पावर कंपनियां बिहार में काम करने के लिए तैयार नहीं है.
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