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गांधी सेतु: ये हैं जाम के चार कारण, इन पर लगे लगाम, तो सफर हो सकेगा सुहाना

मुसीबत. लगातार 11 दिनों से महात्मा गांधी सेतु व जीरो माइल से लेकर फतुहा तक जाम ओवरटेक, बीच सड़क पर यात्री का उठाव, बालू लदे वाहन व शादी-विवाह के वाहनों में बढ़ोतरी जाम की प्रमुख वजहें हैं. पटना : लगातार 11 दिनों से महात्मा गांधी सेतु व जीरो माइल से लेकर फतुहा तक जाम लग […]

मुसीबत. लगातार 11 दिनों से महात्मा गांधी सेतु व जीरो माइल से लेकर फतुहा तक जाम
ओवरटेक, बीच सड़क पर यात्री का उठाव, बालू लदे वाहन व शादी-विवाह के वाहनों में बढ़ोतरी जाम की प्रमुख वजहें हैं.
पटना : लगातार 11 दिनों से महात्मा गांधी सेतु व जीरो माइल से लेकर फतुहा तक जाम लग रहा है. इस जाम से निजात के लिए पुलिस बल की कमी दूर करने को पुलिस मुख्यालय ने अतिरिक्त 100 जवान यातायात पुलिस को दिये हैं. इसके बावजूद प्रतिदिन सुबह और शाम में नियमित रूप से लग रहे जाम ने परेशानी बढ़ा दी है. प्रभात खबर ने जब बुधवार को जाम के कारणों की पड़ताल की तो चार मुख्य वजहें सामने आयीं. अगर इन चार बिंदुओं पर पुलिस काम करें, तो जाम से निजात पाया जा सकता है.
पूरब में दीदारगंज चेकपोस्ट तक व पश्चिम में नंदलाल छपरा तक जाम: पटना सिटी. बुधवार को भी रुक-रुक कर महात्मा गांधी सतु व एनएच पर लग रहे जाम की वजह से वाहनों के परिचालन का गणित बिगड़ गया था. जाम की वजह से यात्रियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही थी. एनएच व गांधी सेतु जाम का असर पटना-मसौढ़ी रोड व पुरानी बाइपास रोड में भी देखने को मिल रहा है. जाम की यह समस्या 11 दिनों से बनी हुई है. जाम की समस्या सुबह व शाम के समय यात्री वाहन व लग्नवाले वाहनों का दवाब बढ़ने गंभीर हो जा रही है.
सेतु पर पाया संख्या संख्या 46 से 38 के बीच में परिचालन एक लेन हाजीपुर से पटना आनेवाले मार्ग पर होता है. इस कारण वन वे परिचालन स्थल से लेकर जीरो माइल बड़ी पहाड़ी मोड़ के बीच जाम की समस्या बनी थी. यही स्थिति एनएच पर भी थी. एनएच पर पूरब में दीदारगंज चेकपोस्ट तक व पश्चिम में नंदलाल छपरा तक जाम रुक-रुक कर जाम लग रहा था. दोपहर को वाहनों का प्रेशर थोड़ा कमा था, इससे रोके गये ट्रकों व मालवाहक वाहनों को तेजी से आगे निकाला गया.
1. ओवरटेकिंग
गायघाट यात्री शेड से वाहन निकलते ही पाया संख्या 42 पर जाने के क्रम में पहले पहुंचने के लिए ओवरटेकिंग करते हैं. इसका नतीजा है कि पाया संख्या 42 तक पहुंचते-पहुंचते वाहनों की तीन लाइन हो जाती है, जबकि मात्र एक लाइन में ही यात्री शेड से पाया संख्या 42 तक वाहनों को जाना चाहिए. यात्री शेड से पाया संख्या 42 तक बीच में एक भी जवान की तैनाती नहीं है और न ही यात्री शेड से एक लाइन में चलने का निर्देश दिया जाता है, जिस कारण पाया संख्या 42 पर होने वाली परेशानी खत्म नहीं हो रही है.
जिम्मेवार कौन व कार्रवाई : इसकेलिए स्पष्ट रूप से वहां तैनात पुलिस बल जिम्मेवार हैं. उन्हें इसके लिए यातायात नियमों के तहत कार्रवाई करनी चाहिए और वाहनों को जब्त करना चाहिए.
2. विवाह से बढ़े वाहन
इन दिनों शादी-विवाह का मौसम है और काफी संख्या में पटना जिले के बाहर से लोग काफी संख्या में आ-जा रहे हैं. जिस कारण न्यू बाइपास, जीरो माइल से लेकर महात्मा गांधी सेतु, जीरो माइल से दीदारगंज व जीरो माइल से मसौढ़ी रोड में जाम की समस्या आ गयी है.
इसके लिए भी पूरी तरह से पुलिस जिम्मेवार है. बाहर से आने वाले वाहन को जीरो माइल पर बनाये गये लेन ड्राइविंग की पूरी जानकारी नहीं है. जिस कारण वे भूलवश भी दूसरे लेन में प्रवेश कर जा रहे हैं और थोड़ी दूर जाने पर जब उन्हें गलती का एहसास होता है, तो वापस लौटने का प्रयास करते हैं.
जिम्मेवारी व कार्रवाई: लेन ड्राइविंग में हो रही गड़बड़ी को पुलिस नहीं रोक पा रही है. जीरो माइल पर ऐसे बड़े-बड़े बोर्ड लगाये जाये, जिससे यह इंगित हो सके कि किसे किस ओर जाना है. पहले से कुछ बोर्ड लगे थे, जो खराब हो गये हैं.
3. बालू लदे ट्रक बढ़े
बालू लदे ट्रकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. काफी दिनों से बालू के घाटों पर उठाव बंद था. लेकिन, जब से शुरू हुआ है, वैसे ही शहर व अन्य इलाकों में मकान निर्माण में काफी तेजी आयी है. जिस कारण लोग एक बार में ही चार से पांच ट्रक का ऑर्डर कर रहे हैं. ऐसे में बालू लदे ट्रक काफी संख्या में पटना जिले की सीमा में आ रहे हैं.
पुलिस की कार्रवाई : इसके लिए पटना पुलिस ने यह व्यवस्था की है कि बालू या अन्य निर्माण सामग्री लदे ट्रकों को मसौढ़ी, बख्तियारपुर और बिहटा में ही रोक दी जाये. क्योंकि, जितनी संख्या में न्यू बाइपास से इन ट्रकों को निकाला जाता है, फिर से और भी ट्रक पहुंच जा रहे हैं. बुधवार को इन तीन जगहों पर निर्माण सामग्री लदे ट्रकों को रोका गया. यह व्यवस्था कम से कम कुछ दिनों तक रहनी चाहिए, जब तक जाम की समस्या खत्म न हो जाये.
4. बसवालों की मनमानी
बीच सड़क पर बस व टेंपो द्वारा सवारियों को उठाने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही इन वाहनों में सवारी उठाने के लिए होड़ भी है. जीरो माइल से लेकर महात्मा गांधी सेतु तक पूरी तरह बीच सड़क पर सवारियों को उठाने की मनाही है. इसके बावजूद धनुकी मोड़, गाय घाट यात्री शेड के अगल-बगल, यात्री शेड व पाया संख्या 42 के बीच में यात्रियों को लिया जा रहा है और उनके सामान भी लोड किये जा रहे हैं.
जिम्मेवारी व कार्रवाई : बसों व टेंपो द्वारा बीच सड़क पर सवारी उठाने की प्रक्रिया पुलिस की आंखों के सामने हाे रहा है, लेकिन इस पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. पुलिस बल की कमी है, लेकिन नियमों का उल्लंघन के करनेवाले वाहनों पर कार्रवाई तो की ही जा सकती है. यात्री शेड के पास सीसीटीवी कैमरा भी लगा है, उसे देख कर आसानी से कार्रवाई की जा सकती है.
बनी थी रेगुलेशन टीम, लेकिन दिखती नहीं
जीरो माइल से लेकर महात्मा गांधी सेतु, मीठापुर से जीरो माइल, जीरो माइल से दीदारगंज व जीरो माइल से मसौढ़ी रोड में यातायात नियंत्रण के लिए रेगुलेशन टीम बनायी गयी थी. यह टीम भी यदा-कदा नजर आती है, जिस कारण मीठापुर से लेकर न्यू बाइपास पर ओवरटेकिंग का नजारा आम है. बसों द्वारा सवारियों को उठाये जाने की प्रक्रिया भी देखी जा सकती है.
दो क्रेन, पर चालक एक
पाया संख्या 42 पर दो क्रेन रखे हैं. लेकिन, एक ऐसे ही पड़ा रहता है, क्योंकि चालक एक ही है. अगर एक गाड़ी भी उधर खराब हो गयी तो फिर जाम लगना तय है. क्योंकि, क्रेन की मदद से भी वाहन को हटाने में कुछ समय लगता है, तब तक सेतु पर पूरी यातायात व्यवस्था चौपट हो जाती है और इसका असर जीरो माइल और जीरोमाइल से मीठापुर तक पड़ने लगता है.
अचानक ही तमाम गाडियों में ब्रेक लग जाता है और फिर ओवरटेकिंग करने वाले उसे जाम में तब्दील कर देते हैं. अगर दो वाहन एक साथ महात्मा गांधी सेतु पुल पर खराब हो जाये, तो फिर उसे हटाने में ही काफी समय लग जायेगा, क्योंकि क्रेन चलाने वाला चालक एक ही है.

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