किसी जिले के एसपी ने इन मानकों को अमलीजामा पहनाने की जहमत नहीं उठायी. इसी वजह से कोर्ट परिसरों में कोई ठोस सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाये. हाल में छपरा कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट की घटना पर हाइकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए सरकार से 26 अप्रैल तक हलफनामा दायर करते हुए जवाब मांगा है. उच्च न्यायालय ने तमाम कोर्ट परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए उठाये गये कदम की विस्तृत जानकारी देने को कहा है. पिछले दो वर्षों में राज्य के विभिन्न कोर्ट परिसरों में करीब 3-4 वारदातें हो चुकी हैं. महीने पहले वर्ष 2015 में आरा कोर्ट परिसर में बम विस्फोट की घटना हुई थी. इस घटना को भी एक महिला ने ही अंजाम दिया था, जिसमें दो अपराधी भाग गये थे. उस दौरान भी राज्य के कोर्ट परिसरों की सुरक्षा को लेकर प्रश्न उठे थे. छपरा कोर्ट की वारदात के बाद भी पुलिस महकमा ने सभी कोर्ट परिसरों की सुरक्षा के लिए एक विस्तृत एसओपी जारी किया है.
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कोर्ट सुरक्षा के मानक नहीं उतरे जमीन पर
पटना: राज्य में कोर्ट की सुरक्षा को लेकर सतर्कता तभी जागती है, जब कोई हादसा होता है. लेकिन कोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर पुलिस मुख्यालय ने आज तक जो भी एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) तैयार कर रखा है, वह जमीन पर उतर ही नहीं पायी है. सुरक्षा के तय मानकों का कोर्ट परिसर में […]
पटना: राज्य में कोर्ट की सुरक्षा को लेकर सतर्कता तभी जागती है, जब कोई हादसा होता है. लेकिन कोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर पुलिस मुख्यालय ने आज तक जो भी एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) तैयार कर रखा है, वह जमीन पर उतर ही नहीं पायी है. सुरक्षा के तय मानकों का कोर्ट परिसर में पालन नहीं होने की वजह से ही सुरक्षा की स्थिति इनमें हमेशा लचर ही बनी रहती है. हर बार किसी वारदात के बाद पुलिस मुख्यालय सभी एसपी को एसओपी जारी करता है, लेकिन इसके मानक जमीन पर नहीं उतर पाते हैं. कागज में ही तमाम व्यवस्था और आदेश रह जाते हैं.
यह दिशा-निर्देश अभी पूरी तरह से जमीन पर उतरा नहीं था कि दूसरी घटना छपरा कोर्ट में हो गयी.
इस तरह हर बार कोर्ट परिसर में वारदात के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी कागजी तैयारी होती है, लेकिन यह लागू नहीं हो पाता.
एसओपी में सुरक्षा को लेकर निर्देश
सभी कोर्ट परिसर में डीएफएमडी (डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर) लगाना है. इससे होकर सभी लोगों का गुजरना अनिवार्य होगा.
कार, मोटरसाइकिल और साइकिल की पार्किंग परिसर से बाहर करनी है.
वाहनों की पार्किंग कोर्ट से एक निश्चित दूरी पर ही बनानी है.
कोर्ट परिसर के अंदर, बाहर और सभी प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा लगाना है.
इसके अलावा कोर्ट के मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश के लिए हैंड मेटल डिटेक्टर से चेकिंग के बाद ही अंदर जाने की अनुमति मिलेगी.
सभी कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए.
परिसर में अतिक्रमण या बेमतलब के लोगों का प्रवेश बंद करना चाहिए, खासकर जब सुनवाई चल रही हो.
कैदी वाहन आने के बाद
परिसर की सुरक्षा को खासतौर से बढ़ा देनी है. वाहन या कैदी से परिसर में किसी को मिलने की अनुमति नहीं होगी.
कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतों के कारण किसी मानक का पालन नहीं हो पाता है.
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