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मुआवजा नहीं देने पर गृह सचिव को फटकार
अधिवेशन भवन में खुली जन सुनवाई के दूसरे दिन आयोग के अध्यक्ष व उनकी टीम ने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कीं. पटना : राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू के नेतृत्व में बैठी फूल बेंच की टीम ने गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को जमकर फटकार लगायी. गृह विभाग से जुड़े […]
अधिवेशन भवन में खुली जन सुनवाई के दूसरे दिन आयोग के अध्यक्ष व उनकी टीम ने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कीं.
पटना : राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू के नेतृत्व में बैठी फूल बेंच की टीम ने गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को जमकर फटकार लगायी. गृह विभाग से जुड़े एक पीड़ित को मुआवजा नहीं देने का मामला था.
इसके अंतर्गत हाजीपुर के अनिल कुमार ठाकुर को पुलिस ने झूठे आर्म्स एक्ट के मुकदमा फंसा दिया था. जबकि इस मामले में आयी अधिकारिक जांच रिपोर्ट में यह बात साफतौर से स्पष्ट होती है कि उसे झूठे मुकदमा में फंसाया गया था. इस मामले को मानवाधिकार हनन मानते हुए आयोग ने पूर्व में ही मुआवजा देने का आदेश गृह सचिव को दिया था, जो आज तक नहीं मिला.
सुनवाई के दौरान गृह सचिव आमिर सुबहानी ने पेश होकर कहा कि यह मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है. इस कारण मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. इस पर जस्टिस दत्तू ने कहा कि यह कैसे संभव है कि एक तरफ आप किसी को गलत मुकदमा में फंसा रहे हैं और दूसरी तरफ मुआवजा देने में आपको परेशानी हो रही है. यह क्या है, ऐसा क्यों हो रहा है. यह किसी हालत में नहीं होना चाहिए. आयोग ने पीड़ित को जल्द मुआवजा देने का आदेश दिया. इस पर प्रधान सचिव ने सहमति जतायी.
ऊर्जा सचिव को मिली सख्त हिदायत : रोहतास में अगस्त 2011 के दौरान बस की छत पर यात्रा कर रहे 9 लोगों की मौत बिजली की हाई टेंशन तार की चपेट में आने से हो गयी. इस मामले में सिर्फ बस ड्राइवर पर ही एफआइआर हुआ था. अन्य किसी बिजली कर्मचारी या पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी.
इसकी सुनवाई के दौरान आयोग ने पूछा कि मृतकों को मुआवजा क्यों नहीं मिला, तो ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने जवाब दिया कि ये लोग बस की छत पर बैठकर यात्रा कर रहे थे, जो गैर-कानूनी है. इस कारण इन्हें मुआवजा नहीं दिया गया. इस पर आयोग ने फटकार लगाते हुए प्रधान सचिव को सख्त हिदायत दी कि वे मृतकों को जल्द मुआवजा दें. आयोग ने यह भी कहा कि इस घटना में आपको विभागीय गलती नहीं दिखती है.
हाइ टेंशन तार तय मानक ऊंचाई से काफी नीचे था. दूसरा, जब पहला व्यक्ति इसकी चपेट में आया, तो वह ट्रिप क्यों नहीं हुआ. इसी कारण दूसरे लोगों की भी जान चली गयी. आयोग ने कहा कि इस आधार पर विभाग ने स्थानीय दोषी पदाधिकारियों पर आज तक क्यों नहीं कार्रवाई की है. इस मामले में सिर्फ बस ड्राइवर पर चार्जशीट दायर करके खानापूर्ति कर ली गयी है. आयोग ने डीजीपी से इस मामले को देखने और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
आयोग ने पूरी रिपोर्ट डीजीपी को पढ़ने के लिए दी और पूछा कि अाप बताइये क्या इसमें न्याय हुआ है, डीजीपी ने भी माना कि न्याय नहीं हुआ है.
पटना : गरीबों को तो एक दिन में सजा मिल जाती है, लेकिन अमीरों को क्यों नहीं सजा मिलती है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू ने दूसरे दिन खुली जन सुनवाई के दौरान सरकारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह् उठाते हुए यह प्रतिक्रिया व्यक्त की. अधिवेशन भवन में खुली जन सुनवाई के दूसरे दिन आयोग के अध्यक्ष समेत उनकी पूरी टीम जन सरोकार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने के लिए बैठी हुई थी. सुनवाई के दौरान आयोग की फुल बेंच में अन्य तीनों सदस्य जस्टिस सायरिक जोसेफ, जस्टिस डी. मुरूगेशन और एससी सिन्हा मौजूद थे.
पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने सरकार का पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन आधे-अधूरे और ठोस जवाब नहीं होने के कारण आयोग ने तमाम दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. बेकार के तर्कों पर आयोग ने पूरे सरकारी महकमे को जमकर फटकार लगायी.
बेकार की विभागीय दलील को किया दरकिनार : आयोग इस मामले में डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होने से बेहद नाराज हुआ. उसका कहना था कि कार्ड धारक गरीबों पर तो कार्रवाई हो गयी, लेकिन क्या डॉक्टरों पर अमीर होने की वजह से कार्रवाई नहीं हुई. जबकि इस मामले में डॉक्टर भी सबसे ज्यादा दोषी थे. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सरकार ने इस मामले में शामिल 22 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए एमसीआइ (मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया) को लिखा है.
सरकार इस मामले में पूरी तरह से गंभीर है. इस पर जस्टिस दत्तू ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले दो सालों में आप लोगों ने इस मामले में कोई रिपोर्ट तक नहीं दी है, इससे पता चलता है कि आप कितने गंभीर हैं. दोषी डॉक्टरों पर क्रिमिनल मामले क्यों नहीं दर्ज किये गये.
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