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30 हजार करोड़ का एसी-डीसी बिल अब भी बकाया
पटना : राज्य में विभिन्न विभागों में एसी (एब्सट्रैक्ट कंटिंजेंट) और डीसी (डिटेल कंटिंजेंट) बिलों का समायोजन अभी भी काफी बड़ी मात्रा में बचा हुआ है. सभी विभागों का वर्ष 2015 तक का एसी-डीसी के तहत बकाया बिल करीब 30 हजार करोड़ रुपये के हैं. पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 के हाल में ही समाप्त होने […]
पटना : राज्य में विभिन्न विभागों में एसी (एब्सट्रैक्ट कंटिंजेंट) और डीसी (डिटेल कंटिंजेंट) बिलों का समायोजन अभी भी काफी बड़ी मात्रा में बचा हुआ है. सभी विभागों का वर्ष 2015 तक का एसी-डीसी के तहत बकाया बिल करीब 30 हजार करोड़ रुपये के हैं. पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 के हाल में ही समाप्त होने के कारण भी ट्रेजरी में काफी बड़ी मात्रा में बिलों का समायोजन नहीं हो पाया है.
इसका काम अभी तेजी से चल रहा है. जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में ही हुई इसकी समीक्षा बैठक के दौरान करीब 10 हजार करोड़ के ही एसी-डीसी बिल के बकाये की बात सामने आयी थी. इस मसले पर बुधवार को मुख्य सचिवालय के सभागार में वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सभी प्रमुख विभागों के प्रधान सचिव या सचिव के साथ समीक्षा बैठक हुई. इस दौरान यह बात सामने आयी कि सबसे ज्यादा 10 हजार करोड़ का एसी-डीसी बिल शिक्षा विभाग का समायोजन नहीं हुआ है.
इसी विभाग में सबसे ज्यादा बिलों की मात्रा लंबित है. इसके अलावा पशुपालन, नगर विकास एवं आवास विभाग समेत अन्य विभागों में भी एसी-डीसी बिल काफी संख्या में लंबित पड़ेहुए हैं. बैठक में सभी विभागों को जल्द से जल्द बकाये एसी-डीसी बिल का समायोजन करने को कहा गया है.
सीएजी की आपत्तियों का निबटारा करने में विभाग सुस्त
सीएजी की रिपोर्ट में विभागों की कार्यशैली, कार्यप्रणाली या योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाये जाते हैं. इन सवालों में मुख्य रूप से वित्तीय अनियमिताएं या किसी बड़ी गड़बड़ी की बात का उल्लेख होता है, जिनसे राजस्व की क्षति हुई हो.
इनका निपटारा या कार्रवाई करने की जिम्मेवारी संबंधित विभागों की होती है. परंतु इन आपत्तियों को दूर करने में भी कई विभाग काफी सुस्त हैं. इसे लेकर ये बहुत रुचि नहीं लेते हैं.
कुछ विभागों में 15-16 साल से इनका निपटारा नहीं किया गया है. राज्य में करीब 150 ऐसे मामले लंबित पड़े हैं. लंबित मामलों में लेखा-जोखा में हेराफेरी, टैक्स चोरी, टेंडर में गड़बड़ी, बाजार से अधिक रेट पर सामान की खरीद करने जैसे मामले सबसे ज्यादा हैं.इसमें सबसे ज्यादा वाणिज्य कर में 20, पशुपालन में 18 और नगर विकास एवं आवास में 15 मामले लंबित हैं. इनके अलावा वन एवं पर्यावरण विभाग, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य समेत अन्य विभागों में भी काफी मामले लंबित हैं.
उपयोगिता प्रमाणपत्र भी है बकाया
सभी विभागों ने पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान करीब 20 हजार करोड़ के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) भी जमा नहीं किये हैं. कुछ विभागों ने पिछले पांच-छह सालों से भी यूसी जमा नहीं किया है. इसमें भी शिक्षा विभाग का ही सबसे ज्यादा यूसी बकाया है. इन विभागों को भी जल्द ही यूसी जमा करने का निर्देश दिया गया है.
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