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कैसे रुके कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न

पटना : केस-1 : आइडीबीआइ बैंक में काम करने वाली एक महिला अपने ही ऑफिस के कलिग द्वारा यौन हिंसा की शिकार हो रही थी. महिला का प्रोमोशन रोक दिया गया. उसे नौकरी से इस्तीफा भी देना पड़ा. अब उसने महिला आयोग में केस दर्ज कराया है. केस-2 : एक निजी कंपनी में कार्यरत नेहा […]

पटना : केस-1 : आइडीबीआइ बैंक में काम करने वाली एक महिला अपने ही ऑफिस के कलिग द्वारा यौन हिंसा की शिकार हो रही थी. महिला का प्रोमोशन रोक दिया गया. उसे नौकरी से इस्तीफा भी देना पड़ा. अब उसने महिला आयोग में केस दर्ज कराया है.
केस-2 : एक निजी कंपनी में कार्यरत नेहा (बदला हुआ नाम) पर अक्सर यौन संबंध बनाने का दबाव पड़ रहा था. ऐसा नहीं करने पर बॉस उसे नौकरी से निकालने की धमकी देने लगा. नेहा ने महिला हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करायी है.
ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं. ऐसी कई महिलाएं हैं, जो अपने दफ्तर में विशाखा गाइडलाइन के तहत सेल की व्यवस्था नहीं होने से यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं.
कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होनेवाले यौन दुर्व्यवहार को समाप्त करने के लिए विशाखा गाइड लाइन के तहत निजी व सरकारी कार्यालयों में विशेष कमेटी का गठन होना था. ऐसे कार्यालय जहां यह सेल गठित नहीं है, वहां इसके गठन के लिए महिला विकास निगम द्वारा विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था. इसके बाद सभी सरकारी कार्यालय में सेल गठित करने का निर्देश भी दिया गया था. पर, मॉनीटरिंग के अभाव में महिला कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
अिधकतर दफ्तरों में नहीं हो रहा विशाखा गाइड लाइन का पालन
सचिवालय में 10 विभागों में ही सेल
सचिवालय व समाहारणालय में देखें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या एक तिहाई से भी कम है. 50 से 60 पुरुषों के बीच 5 से 10 महिलाएं होती हैं. हालांकि, बैंकिंग व यूनिवर्सटी में यह संख्या अधिक है. इक्यूटी फाउंडेशन की नीना श्रीवास्तव विशाखा गाइडलाइन पर काम रही हैं. उनके सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सचिवालय स्तर पर लगभग 10 विभागों में सेल गठित है.
इसमें मात्र सिंचाई विभाग में सेल कार्यरत है. कुछ निजी संगठनों ने सेल गठित किया है. यूनिवर्सिटी में सेल गठित तो हैं, पर जानकारी के अभाव में महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पा रही हैं.
अन्य कार्यालयों में यही स्थिति है. वे बताती हैं कि मेडिकल सेक्टर में नर्सों व युनिवर्सिटी में महिला प्रोफेसरों को सेल के नहीं रहने से सबसे अधिक समस्याएं आती हैं. महिला हेल्पलाइन की मानें तो कार्यालयों में यौन हिंसा की शिकायतें कम आती हैं. निजी क्षेत्र में अधिकांश महिलाओं को अपनी नौकरी जाने का डर बना रहता है. सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं की ओर से महीने में चार-पांच मामले यौन हिंसा से जुड़े दर्ज कराये जाते हैं. एलआइसी में सेल की सुविधा है और वह प्रॉपर तरीके से काम भी कर रहा है.
क्या है गाइड लाइन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 1997 में विशाखा गाइड लाइन बनाया गया. इसके तहत कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा के मामलों पर कानूनी कार्रवाई कर पीड़िता को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गयी है. वर्ष 2013 में संसद द्वारा यौन हिंसा बिल पारित किया गया है. इसके तहत सभी कार्यालयों में ‘कंप्लेन अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट’ कमेटी गठन करने का निर्देश दिया गया , जहां कामकाजी पीड़ित महिला शिकायत दर्ज करा सकें.
क्या है यौन हिंसा
यौनोत्तेजक बातें, कामुक कहानियां व मजाक करना
यौन संबंधी बात-चीत, व्यक्तिगत यौन मामलों पर चर्चा
घूरना, ललचाइ निगाह से देखना व शारीरिक स्पर्श
कपड़े व शरीर पर गंदी छींटाकशी
घूस, धमकी आदि के जरिये यौन संपर्क व मौखिक धमकी

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