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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम करेगी खुली सुनवाई
मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की सुनवाई के बाद होगा ऑन द स्पॉट फैसला पटना : राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) से संबंधित लोक सेवकों और कई आला अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के काफी मामले हैं. इनमें कई मामले काफी लंबे समय से लंबित पड़े हुए हैं. अब इन मामलों की सुनवाई […]
मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की सुनवाई के बाद होगा ऑन द स्पॉट फैसला
पटना : राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) से संबंधित लोक सेवकों और कई आला अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के काफी मामले हैं. इनमें कई मामले काफी लंबे समय से लंबित पड़े हुए हैं. अब इन मामलों की सुनवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम तीन दिनों के लिए पटना आकर कैंप करेगी.
एनएचआरसी अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू ने नेतृत्व में आयोग के 22 सदस्यों की टीम यहां कैंप कर चुनिंदा 86 मामलों की सुनवाई करेगी. इस सुनवाई के दौरान ऑन द स्पॉट फैसला सुनाया जायेगा और संबंधित दोषी अधिकारी के खिलाफ तुरंत फरमान भी जारी कर दिया जायेगा. इस सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, डीजीपी समेत तमाम आला अधिकारियों के अलावा राजधानी के आसपास के करीब एक दर्जन जिलों के डीएम और एसपी भी मौजूद रहेंगे.
इस तरह मामलों का किया गया चयन : एनएचआरसी ने एससी-एसटी के उत्पीड़न और इनके अधिकारों या मानवाधिकारों की सरकारी हुकमरानों के स्तर पर उपेक्षा किये जाने से संबंधित मामलों को सीधे अपने पास मंगवाया था. इसके लिए आयोग की तरफ से 2016 के जनवरी महीने में ही वकायदा विज्ञापन देकर आवेदन मंगवाये गये थे. इसके तहत सैकड़ों मामले राष्ट्रीय आयोग में आम जनता की तरफ से भेजे गये. इसमें मामलों की गंभीरता समेत इसके अन्य कई पहलूओं पर विचार करते हुए एनएचआरसी ने 86 मामलों को सुनवाई करने के लिए छांटा.
इसमें तकरीबन सभी मामले किसी न किसी महकमे के अधिकारियों के खिलाफ ही हैं. अब इन चुनिंदा मामलों पर सुनवाई के लिए तीन दिनों तक आयोग की टीम पटना आकर कैंप करेगी.
आयोग ने टीम भेज करायी थी जांच : एसटी समुदाय के लोगों से जुड़ी शिकायतें मिलने के बाद एनएचआरसी ने एक विशेष टीम भेजकर जांच भी करवायी थी. राज्य के पूर्वी चंपारण, आरा, जमुई और कटिहार जिलों में कई स्थानों पर टीम ने जाकर समाज कल्याण की कई योजनाओं का मुआयना किया था, जिससे जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति का पता चल सके.
दो जिलों से सबसे ज्यादा मामले : एससी समुदाय से जुड़े मानवाधिकार उल्लंघन के मामले सभी जिलों से प्राप्त हुए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मामले पटना और गया जिलों से हैं.
इन दोनों जिलों से मामलों की संख्या 6-7 की संख्या में हैं. अन्य सभी जिलों से औसतन मामलों की संख्या 3-4 के बीच है. सुनवाई में सबसे ज्यादा मामले अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, समाज कल्याण विभाग से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही के अलावा मनरेगा, आंगनबाड़ी केंद्रों, इंदिरा आवास योजना में धांधली तथा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी करने समेत अन्य कई तरह के मामलों की सुनवाई मुख्य रूप से की जायेगी.
सुनवाई का आयोजन अधिवेशन भवन में किया गया है. इसके लिए अधिवेशन भवन को एक मिनी सचिवालय का रूप दिया गया है. यहां आयोग के अध्यक्ष, सदस्य समेत सभी अधिकारियों के अलावा पीड़ित समेत अन्य के बैठने की व्यवस्था की गयी है. कंप्यूटर, फैक्स, टेलीफोन समेत तमाम उपकरण लगाये गये हैं. ताकि किसी अधिकारी से तुरंत संपर्क किया जा सके या जिसके खिलाफ फैसला सुनाया जायेगा, उसे तुरंत नोटिस भेजा जा सके. सुनवाई की पूरी प्रक्रिया में मदद करने के लिए सभी स्तर के सहायक, लिपिक समेत अन्य सभी कर्मचारियों की ड्यूटी यहां लगायी गयी है.
ये प्रमुख लोग होंगे सुनवाई के दौरान
सुनवाई के दौरान एनएचआरसी अध्यक्ष एचएल दत्तू के अलावा सदस्य जस्टिस सायरियक जोसेफ, जस्टिस डी.मुरुगेसन और एससी सिन्हा के अलावा सत्यनारायण मोहंती, सीके चतुर्वेदी समेत आयोग के 22 पदाधिकारियों और कर्मचारियों की टीम मौजूद रहेगी. वहीं, बिहार सरकार की तरफ से गृह विभाग के प्रधान सचिव, डीजीपी, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य सभी विभागों के प्रधान सचिव या सचिव के अलावा पटना, गया, नालंदा, मुजफ्फरपुर, नवादा, शेखपुरा, आरा, रोहतास समेत अन्य कई जिलों के डीएम और एसपी भी मौजूद रहेंगे
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