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धूप में ‘सूख’ रहीं हमारी दवाइयां

लापरवाही. पीएमसीएच में कई दवा भंडार में एसी नहीं, कुछ में फ्रिज खराब आनंद तिवारी पटना : प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में इलाज करा रहे हजारों मरीज ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनमें असर करने की क्षमता काफी कम हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण दवाओं के स्टोरेज को लेकर बरती […]

लापरवाही. पीएमसीएच में कई दवा भंडार में एसी नहीं, कुछ में फ्रिज खराब
आनंद तिवारी
पटना : प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में इलाज करा रहे हजारों मरीज ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनमें असर करने की क्षमता काफी कम हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण दवाओं के स्टोरेज को लेकर बरती जा रही लापरवाही है. इन दवाओं को अधिकतम 20-25 डिग्री सेल्सियस में ही रखा जा सकता है, लेकिन ये दवाएं 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रखी हुइ हैं.
प्रभात खबर की टीम ने जब पीएमसीएच के दवा भंडारों का जायजा लिया, तो पता चला कि यहां करोड़ों रुपये की दवाएं तय तापमान से 15 से 20 डिग्री अधिक गरम परिस्थितियों में रखी गयी हैं.
पीएमसीएच में राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक के मुख्य शल्य भंडार और नर्सिंग हॉस्टल कैंपस के मुख्य औषधि भंडार में दो बड़े दवा भंडार संचालित हो रहे हैं. यहीं से अस्पताल के इमरजेंसी, गायनी आदि वार्डों के दवा भंडार में दवाएं भेजी जाती हैं. लेकिन, इमरजेंसी वार्ड को छोड़ दिया जाये तो यहां सभी बड़े दवा भंडारों में न तो फ्रिज काम कर रहा और न ही कूलिंग के लिए एसी की व्यवस्था की गयी है. ऐसे में करोड़ों रुपये की दवाएं खराब हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
जीवनरक्षक दवाओं की भी परवाह नहीं
स्पलेटिन इंजेक्शन और डोक्सोरयूबिसिन हाइड्रो-क्लोराइड कैंसर के इलाज में काम आनेवाली महत्वपूर्ण दवाएम हैं और इन्हें 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना चाहिये. एंडीनलिन बाट्रिटे इंजेक्शन हार्ट पेशेंट को लगाया जाता है. इसको भी 35 से 45 डिग्री के बीच रखा जा रहा है, जबकि इसको 15 से 25 डिग्री के बीच रखा जाना चाहिये.
दवाएं, जो पांच में से तीन मरीजों को दी जाती हैं
गायनी और इमरजेंसी वार्ड के फर्स्ट फ्लोर के दवा भंडार में नाम मात्र कूलिंग हो रही है. यहां एमोक्सीलिन एंड पोटेशियम क्लेवनेट और सेफट्राइजोन के इंजेक्शन है और ये कई मरीजों को लगाये जाते हैं.
इन इंजेक्शनों को 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना होता है, लेकिन जिन दवा भंडार में ये रखे गये हैं वहां का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस था. इसी प्रकार फ्लूड को 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाना चाहिये. डायबिटीज में काम आनेवाले मेटफोरमिन टेबलेट को अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस तापमानमें रखा जाना होता है.
क्या होता है अधिक तापमान सेविशेषज्ञों के अनुसार 48 घंटे तक तय तापमान से अधिक में रहनेपर दवाएं असर करने की शक्ति को 25 फीसदी तक खो देती हैं. चार से पांच दिन में 50 प्रतिशत क्षमता कम हो जाती है. इंजेक्शन सात से आठ दिन तक अधिक तापमान में रहने से पूरी तरह बेकार हो जाते हैं. लिक्विड वेक्सीन के खराब होने का सबसे अधिक डर रहता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
दवाओं को तय तापमान में रखने के निर्देश दिये गये हैं. अधिकतर दवा भंडारों में कूलिंग ठीक है. आप जहां की बात कर रहे हैं, वहां की हमें जानकारी नहीं है. मैं इसको दिखा लेता हूं.
डॉ एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल पीएमसीएच
पटना : प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच का बर्न वार्ड. इस वार्ड में उन मरीजों को रखा जाता है जो जलने की वजह से यहां भरती होते हैं. वार्ड के बाहर वातानुकूलित का बोर्ड लगा है. लेकिन, 40 डिग्री से ऊपर के तापमान में भी इस वार्ड के अधिकांश एसी बंद पड़े हैं. जलने से पीड़ित मरीज खिड़कियों से आती धूप में और भी झुलसने को मजबूर हैं. शुक्रवार को यह नजारा पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा के सामने था. वे वार्ड का जायजा लेने पहुंचे थे.
वार्ड की हालत देख प्रिंसिपल काफी नाराज हुये और जिम्मेवार अधिकारी व डॉक्टर को फटकार लगायी. प्रिंसिपल ने बर्न वार्ड के एचओडी और इंचार्ज से वहां की कमियां का लेखा-जोखा लिखित में मांगा.
प्रिंसिपल ने कहा कि आये दिन मरीजों की मिल रही शिकायत के बाद बर्न वार्ड में नये एसी, कूलर की व्यवस्था की जायेगी. उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रशासन एसी की खरीदारी कर ली है. कुछ एसी दवा भंडार में तो कुछ बर्न वार्ड में लगाये जायेंगे. वहीं जो एसी कम कूलिंग कर रहा है उसे दुरुस्त किया जायेगा.

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