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जय सिंह और शीर्षत कपिल हुए विप की कमेटी के समक्ष हाजिर
पटना : विधान परिषद की विशेष कमेटी ने सोमवार को राजधानी के एसपी वर्मा रोड और एक्जीबिशन रोड पर अवैध तरीके से बनी बहुमंजिली इमारतों के निर्माण में गलत सूचना देने के आरोप की सुनवाई की. भाजपा के हरेंद्र प्रताप पांडेय की अध्यक्षता में गठित कमेटी के समक्ष पटना नगर निगम के आयुक्त शीर्षत कपिल […]
पटना : विधान परिषद की विशेष कमेटी ने सोमवार को राजधानी के एसपी वर्मा रोड और एक्जीबिशन रोड पर अवैध तरीके से बनी बहुमंजिली इमारतों के निर्माण में गलत सूचना देने के आरोप की सुनवाई की. भाजपा के हरेंद्र प्रताप पांडेय की अध्यक्षता में गठित कमेटी के समक्ष पटना नगर निगम के आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद और तत्कालीन नगर आयुक्त जय सिंह समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित हुए. कमेटी के अध्यक्ष और विधान परिषद में भाजपा के सदस्य हरेंद्र प्रातप पांडेय ने कहा कि अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि नीचे के स्तर पर यह गड़बड़ी की गयी है.
गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. अधिकारियों ने श्री पांडेय को बताया कि कुल 23 इमारतों में से 22 इमारतोंका निर्माण नक्शा से अलग किया है. इसकी जांच की जिम्मेवारी निगरानी को सौंप दिया गया है. विधान परिषद स्थित कार्यालय में हुई बैठक के बारे में उन्होंने बताया कि हाल के तबादला में अधिकांश पूराने अधिकारियों का तबादला हो गया है. फिलहाल अधिकारियों की पूरी टीम नी है. नये अधिकारियों ने कहा है कि गलत निर्माण पर कार्रवाई के लिए डीएम और एसपी को निर्देश दिया है.
आयुक्त ने निगरानी पदाधिकारी से अधूरा जवाब पर पूछा स्पष्टीकरण
पटना : विधान परिषद में विधान पार्षद नीरज कुमार द्वारा पूछे गये ध्यानाकर्षण सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री ने अधूरा जवाब दिया. इसको लेकर नगर आयुक्त जय सिंह ने सोमवार को निगरानी पदाधिकारी मुमुक्षु कुमार चौधरी से अधूरा जवाब भेजने के आरोप में स्पष्टीकरण पूछा है. नगर आयुक्त ने पूछा है कि कार्यालयीय प्रक्रिया में अनदेखी की गयी है और 24 घंटा के भीतर जबाव देते हुए बताये कि क्यों ने अाप के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाये.
पटना : जय सिंह पटना नगर निगम में नगर आयुक्त के पद पर एक साल रहे और अब उनका खगड़िया जिलाधिकारी के रूप में ट्रांसफर हो गया है. सोमवार को नगर आयुक्त जय सिंह ने कहा कि जब उन्होंने नगर आयुक्त का पदभार ग्रहण किया, तो निगम में विवाद का माहौल था.
अधिकारी कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे. उन्होंने कहा कि एक फाइल मेरे पास पहुंचने में चार से पांच दिन लग जाता था. अब निगम में विवाद खत्म है और काम करने का माहौल बना है. नगर आयुक्त ने कहा कि निगम में विकास से जुड़े बहुत काम होने हैं, जो नगर आयुक्त के रूप में पदस्थापित शीर्षत कपिल अशोक करेंगे. उन्हाेंने कहा कि निगम में कोई ठेकेदार या एजेंसी अाना नहीं आ रहा था. उन्हें भुगतान नहीं होने का डर था.
इस दर को भी खत्म किया है. यही कारण है कि डोर-टू-डोर योजना के तहत 7.80 करोड़ रुपये की उपकरणों की खरीद की. डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर टेंडर निकाला गया है, जिसमें सात एजेंसियां शामिल हैं. संभावना है कि यह टेंडर भी सफल होगा. निगम के जनप्रतिनिधियों की शिकायत होती थी कि वार्ड की योजना लटकी हुई है, अब वे यह शिकायत करना भूल गये हैं.
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