पटना: नगर निगम ने 2012-13 में वार्ड स्तर पर 50-50 बल्ब लगाये जाने का निर्णय स्थायी समिति व निगम बोर्ड में लिया गया. इसको लेकर नगर निगम के चतुर्थ राज्य वित्त आयोग मद से प्राप्त एक करोड़ 49 लाख की राशि से 73.80 लाख रुपये बल्ब लगाने की योजना पर खर्च करने के लिए अंचल स्तर पर आवंटित किया गया. लेकिन, आवंटित राशि सीएफएल बल्ब लगाने पर खर्च हो गयी और निगम को पता नहीं है कि बल्ब कहां-कहां लग रहा है.
ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा : रमजान के अवसर पर मसजिद व आस-पास के इलाकों में प्रकाश व सफाई कार्य के लिए सभी अंचलों के लिए 2.5 लाख रुपये आवंटित किया गया, लेकिन किन-किन स्थानों पर कौन-कौन से कार्य करने का आदेश कहीं दर्शाया नहीं गया है. इसका सीधा मतलब यह है कि 73.80 लाख और 2.5 लाख रुपये का बंदरबांट किया गया है. इसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. लेखा परीक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह ने अपने रिपोर्ट में कई सवाल उठाते हुए कहा है कि निगम प्रशासन के पास वार्डो में स्थित विद्युत पोलों की संख्या की जानकारी नहीं है. ऐसे में बल्ब लगाने की आवश्यकता किस आधार पर तय की गयी. यह भी स्पष्ट नहीं है.
किस आधार पर तय किया गया दर : संचिकाओं की जांच के क्रम में पाया गया कि एक सीएफएल बल्ब की दर 2050 रुपये निर्धारित की गयी थी, लेकिन यह दर किस आधार पर तय किया गया, स्पष्ट नहीं है. जबकि, वार्डो में सीएफएल लगाना ही था, तो फिलिप्स, बजाज और सूर्या से कोटेशन क्यों नहीं मांग किया गया. लेकिन, निगम प्रशासन ने इन कंपनियों से कोटेशन की मांग नहीं किया और अपने स्तर से बल्ब की कीमत तय कर लिया और ठेकेदारों को कार्य आवंटन कर प्रक्रिया पूरा कर लिया.